जब पाकिस्तान गए साहिर वापस लौट आए
BBC
मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की शख़्सियत के कई आयाम थे. उनकी 41वीं पुण्यतिथि पर पढ़िए रेहान फ़ज़ल की विवेचना.
"साढ़े पाँच फ़ुट का क़द, जो किसी तरह सीधा किया जा सके तो छह फ़ुट का हो जाए, लंबी-लंबी लचकीली टाँगें, पतली सी कमर, चौड़ा सीना, चेहरे पर चेचक के दाग़, सरकश नाक, ख़ूबसूरत आँखें, आंखों से झींपा -झींपा सा तफ़क्कुर, बड़े-बड़े बाल, जिस्म पर क़मीज़, मुड़ी हुई पतलून और हाथ में सिगरेट का टिन."
ये थे साहिर लुधियानवी, उनके दोस्त और शायर कैफ़ी आज़मी की नज़र में.
साहिर को क़रीब से जानने वाले उनके एक और दोस्त प्रकाश पंडित उनकी झलक कुछ इस तरीक़े से देते हैं, "साहिर अभी-अभी सो कर उठा है (प्राय: 10-11 बजे से पहले वो कभी सो कर नहीं उठता) और नियमानुसार अपने लंबे क़द की जलेबी बनाए, लंबे-लंबे पीछे को पलटने वाले बाल बिखराए, बड़ी-बड़ी आँखों से किसी बिंदु पर टिकटिकी बाँधे बैठा है (इस समय अपनी इस समाधि में वो किसी तरह का विघ्न सहन नहीं कर सकता... यहाँ तक कि अपनी प्यारी माँजी का भी नहीं, जिनका वो बहुत आदर करता है) कि यकायक साहिर पर एक दौरा-सा पड़ता है और वो चिल्लाता है- चाय!"
"और सुबह की इस आवाज़ के बाद दिन भर, और मौक़ा मिले तो रात भर, वो निरंतर बोले चला जाता है. मित्रों- परिचितों का जमघटा उस के लिए दैवी वरदान से कम नहीं. उन्हें वो सिगरेट पर सिगरेट पेश करता है (गला अधिक ख़राब न हो इसलिए ख़ुद सिगरेट के दो टुकड़े करके पीता है, लेकिन अक्सर दोनों टुकड़े एक साथ पी जाता है.) चाय के प्याले के प्याले उनके कंठ में उंडेलता है और इस बीच अपनी नज़्मों-ग़ज़लों के अलावा दर्जनों दूसरे शायरों के सैकड़ों शेर, दिलचस्प भूमिका के साथ सुनाता चला जाता है."
सुनें विवेचनाःनर्म लहज़े का शायर साहिर