
जबरन धर्मांतरण को लेकर कर्नाटक सरकार के मसौदा क़ानून में 10 साल सज़ा का प्रावधान
The Wire
प्रस्तावित क़ानून में कहा गया है कि कि ग़लतबयानी, बल, कपट, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या विवाह के आधार पर धर्म परिवर्तन प्रतिबंधित है. मसौदा क़ानून में ये प्रावधान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों, नाबालिगों और महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराने पर अधिकतम 10 साल की सज़ा हो सकती है.
बेलगावी: कर्नाटक सरकार धर्म परिवर्तन को रोकने नाम पर ‘कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षण विधेयक, 2021’ ला रही है, जिसमें ये प्रावधान है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों, नाबालिगों और महिलाओं का जबरन धर्मांतरण कराने पर अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सत्तारूढ़ भाजपा इस कठोर विधेयक को शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक विधानसभा में पेश करने पर जोर दे रही है. राज्य सरकार ने प्रस्तावित कानून की वैधता की जांच के लिए पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें की हैं. बीते 15 दिसंबर की रात को हुई विधायक दल की बैठक में भाजपा ने इस सत्र के दौरान सदन में विधेयक पेश करने का फैसला किया है.
बीते गुरुवार को राज्य के गृह मंत्री अरग ज्ञानेंद्र ने राज्य के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी के साथ इस पर बैठक की थी. बाद में राज्य के मुख्य सचिव द्वारा गृह सचिव और संसदीय मामलों एवं कानून के सचिव के साथ हुई बैठक में भी मसौदा विधेयक पर चर्चा की गई.
बीते 14 दिसंबर को गृहमंत्री अरग ज्ञानेंद्र ने बेलगावी में संवाददाताओं से कहा था, ‘हम (जबरन धर्मांतरण के लिए) दंड, दंडनीय प्रावधान ला रहे हैं. जो व्यक्ति धर्म बदलना चाहता है उसे ऐसा करने से दो महीने पहले उपायुक्त को इस आशय का आवेदन देना चाहिए और यह भी कि, जो धर्मांतरण कराएगा, उसे भी आवेदन देना होगा. जो व्यक्ति अपना धर्म बदलेगा, वह अपने मूल धर्म तथा उससे जुड़ी सुविधा एवं फायदे गंवा बैठेगा.’