जज नियुक्ति मामला: केंद्र ने 20 फाइलें कोलेजियम को लौटाईं, दोबारा भेजे गए थे 9 नाम
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जजों की नियुक्ति के विवाद पर एक बार फिर कोलेजियम और सरकार के बीच बात बनती नहीं दिख रही है. केंद्र सरकार ने ऐसे 20 नाम कोलेजियम को लौटा दिए हैं, जिनकी अनुशंसा की गई थी. इनमें अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बात करने वाले अधिवक्ता सौरभ कृपाल का नाम भी शामिल है.
जजों की नियुक्ति का विवाद एक बार फिर गर्मा गया है. एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक सरकार ने हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति से संबंधित 20 फाइलें पुनर्विचार का हवाला देते हुए वापस लौटा दी हैं. इनमें अपनी समलैंगिक स्थिति के बारे में खुलकर बात करने वाले अधिवक्ता सौरभ कृपाल का नाम भी शामिल है.
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया को जानने वाले सूत्रों के मुताबिक सरकार ने 25 नवंबर को कॉलेजियम को फाइल वापस भेजते हुए भेजे गए नामों पर अपनी आपत्ति जताई. इन 20 में 11 मामले नए थे, जबकि 9 फाइल हाई कोर्ट के कॉलेजियम ने दोबारा भेजे थे.
वकील सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट के जज के तौर पर पदोन्नत करने की सिफारिश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने की थी. सौरभ पूर्व CJI बी एन कृपाल के बेटे हैं.
कृपाल का नाम दिल्ली हाई कोर्ट कॉलेजियम ने अक्टूबर 2017 को भेजा था. शीर्ष अदालत के कॉलेजियम ने उनके नाम पर विचार-विमर्श को तीन बार टाला. एजेंसी के मुताबिक कृपाल ने मीडिया को बताया है कि उनकी नियुक्ति में देरी का कारण उनका यौन रुझान है.
जस्टिस रमना से पहले तब के CJI एसए बोबडे ने कथित तौर पर सरकार से किरपाल के बारे में अधिक जानकारी भेजने के लिए कहा था. इसके बाद जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने नवंबर 2021 में कृपाल के पक्ष में फैसला लिया.
एजेंसी सूत्रों के मुताबिक सरकार ने अलग-अलग हाई कोर्ट में नियुक्तियों से संबंधित वो सभी नाम वापस कर दिए हैं, जिन पर हाई कोर्ट कॉलेजियम के साथ उसके 'मतभेद' हैं. इससे पहले हाई कोर्ट ने सोमवार को कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नामों को मंजूरी देने में देरी करने पर केंद्र के खिलाफ नाराजगी जताई थी.
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