
'जजों को लेकर बनी है गलत धारणा, जनता को शिक्षित करना जरूरी'- चीफ जस्टिस रमना
The Quint
CJI NV Ramana: चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि जजों की जिंदगी आसान होती है, ये गलत धारणाएं खारिज करने की जरूरत है. Chief Justice NV Ramana said that misconceptions that judges lives are easy, needs to be refuted.
भारत चीफ जस्टिस (CJI) एन वी रमना (NV Ramana) ने कहा कि जब कोई जज बनने का फैसला करता है, तो उसे कई त्याग करने पड़ते हैं- कम पैसे, समाज में कम भूमिका और बड़ी मात्रा में काम. "फिर भी एक धारणा है कि न्यायाधीश बड़े बंगलों में रहते हैं और छुट्टियों का आनंद लेते हैं."सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से 12 अगस्त को जस्टिस आर एफ नरीमन के फेयरवेल समारोह में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने कहा,"एक जज के लिए हर हफ्ते 100 से अधिक मामलों की तैयारी करना, निष्पक्ष तर्क सुनना, स्वतंत्र शोध करना और लेखक पर निर्णय लेना आसान नहीं है, जबकि एक जजों के विभिन्न प्रशासनिक कर्तव्यों से भी निपटना, विशेष रूप से एक वरिष्ठ जज के लिए आसान नहीं है."CJI ने कहा, "हम अदालत की छुट्टियों के दौरान भी काम करना जारी रखते हैं, शोध करते हैं और लेखक लंबित निर्णय लेते हैं. इसलिए, जब जजों के नेतृत्व वाले आसान जीवन के बारे में झूठे आख्यान बनाए जाते हैं, तो इसे निगलना मुश्किल होता है."उन्होंने कहा, "हम अपना बचाव नहीं कर सकते. इन झूठे आख्यानों का खंडन करना और सीमित संसाधनों के साथ जजों द्वारा किए गए कार्यो के बारे में जनता को शिक्षित करना बार का कर्तव्य है."चीफ जस्टिस ने जस्टिस बनने के लिए दिए जाने वाले बलिदानों को लेकर कहा, "सबसे स्पष्ट बलिदान मौद्रिक है." उन्होंने कहा कि अगर जस्टिस नरीमन जज बनने के बजाय वकील बने रहते, तो वे अधिक विलासितापूर्ण और आराम से जीवन व्यतीत कर सकते थे.(IANS के इनपुट्स के साथ)(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)ADVERTISEMENT...More Related News