
छोटी लड़ाई, बड़ा टारगेट... कम सीटों पर लड़ रही कांग्रेस को क्यों है ज्यादा नतीजों की उम्मीद?
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बीजेपी जहां 'अबकी बार, 400 पार' का नारा देकर चुनाव मैदान में उतरी है तो वहीं कांग्रेस अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कम सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस को ज्यादा नतीजों की उम्मीद क्यों है?
लोकसभा चुनाव का रंग अब पूरी तरह चढ़ चुका है. पहले चरण की सीटों पर प्रचार थमने की ओर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में जुटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 'अबकी बार, 400 पार' का नारा दे दिया है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक की अगुवाई कर रही कांग्रेस को क्षेत्रीय क्षत्रपों के सहारे बीजेपी का विजयरथ रोक लेने की उम्मीद है. इस चुनावी जंग में एक बात की चर्चा और हो रही है और वह है कांग्रेस का कम सीटों पर चुनाव लड़ना.
आजादी के बाद देश में सबसे अधिक समय तक जिस पार्टी की सरकार रही, वह कांग्रेस इस बार अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस इस बार करीब 300 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस नेता दावा कर रहे हैं कि पार्टी 330 से 340 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस दावे को ही आधार मान लें तब भी ऐसा पहली बार है जब ग्रैंड ओल्ड पार्टी 400 से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
सीटों की संख्या के लिहाज से छोटी नजर आ रही इस चुनावी जंग के लिए कांग्रेस ने बड़ा टारगेट सेट किया है. कांग्रेस कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है लेकिन उसे ज्यादा नतीजों की उम्मीद है. अब सवाल यह भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस उतनी सीटों पर भी चुनाव नहीं लड़ रही जितनी सीटें जीतने का टारगेट बीजेपी ने सेट किया है. ऐसे में पार्टी को ज्यादा नतीजों की उम्मीद क्यों है?
गठबंधन का गणित
कांग्रेस कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो इसके पीछे गठबंधन का गणित भी है. यूपी में 80, बिहार में 40 और महाराष्ट्र में 48 सीटें हैं. यानि इन तीन राज्यों में ही 168 लोकसभा सीटें हैं. कांग्रेस यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा), बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और लेफ्ट, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है. पार्टी यूपी में 17, बिहार में नौ और महाराष्ट्र में 17 सीटों यानि 168 सीटों वाले तीन राज्यों में 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा भी है- गठबंधन को ध्यान में रखते हुए पार्टी कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
पिछले चुनाव की बात करें तो बिहार में कांग्रेस और आरजेडी साथ थे लेकिन तब वीआईपी और लेफ्ट गठबंधन का हिस्सा नहीं थे. यूपी में कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ रही थी. महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी और कांग्रेस साथ थे लेकिन उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली अविभाजित शिवसेना, बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में थी. दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में भी कांग्रेस ने सपा, आम आदमी पार्टी, बीएपी जैसे सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ी हैं. अब गठबंधन में पार्टियों की संख्या बढ़ी है तो इसका असर सीटों की संख्या पर भी नजर आ रहा है.

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