छह लाख भारतीयों का डेटा चोरी कर बेचा गया: अध्ययन
The Wire
दुनिया के सबसे बड़े वीपीएन सेवा प्रदाताओं में से एक नॉर्डवीपीएन द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोगों का डेटा चोरी करके बेच दिया गया है. चुराए गए डेटा में यूज़र के लॉगिन, कुकीज़, डिजिटल फिंगरप्रिंट, स्क्रीनशॉट और अन्य जानकारियां शामिल हैं.
बेंगलुरु: दुनिया के सबसे बड़े वीपीएन सेवा प्रदाताओं में से एक नॉर्डवीपीएन के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 50 लाख लोगों का डेटा चोरी करके बॉट बाजार में बेच दिया गया है. इनमें 6 लाख भारतीयों का भी डेटा शामिल है, जो इसे सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बनाता है.
बॉट बाजार एक ऑनलाइन मार्केट होता है, जहां हैकर्स चोरी किए गए डेटा को बेचते हैं.
एक वीपीएन सेवा एक मोबाइल ऐप या अन्य सॉफ्टवेयर है, जो आपके डिवाइस और इंटरनेट के बीच कनेक्शन को एन्क्रिप्ट करता है. यह आपके इंटरनेट सेवा प्रदाता को यह देखने से रोकता है कि आप कौन से ऐप या वेबसाइट का उपयोग कर रहे हैं. साथ ही यह उन अधिकांश वेबसाइट्स और ऐप्स को यह देखने से भी रोकता है कि आप किस भौगोलिक स्थान से ऑनलाइन जुड़ रहे हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, लिथुआनिया के नॉर्ड सिक्योरिटी के नॉर्डवीपीएन द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि चुराए गए डेटा में यूजर्स के लॉगिन, कुकीज़, डिजिटल फिंगरप्रिंट, स्क्रीनशॉट और अन्य जानकारियां शामिल हैं. एक व्यक्ति की डिजिटल पहचान की औसत कीमत प्रति व्यक्ति 490 भारतीय रुपये आंकी गई है.