छत्तीसगढ़ः HC जज के संपर्क में थे PDS घोटाले के दागी अफसर, ईडी का सुप्रीम कोर्ट में खुलासा
AajTak
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि छत्तीसगढ़ के नागरिक जन आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला अक्टूबर 2019 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के संपर्क में थे. जज ने उन्हें जमानत भी दी थी.
छत्तीसगढ़ में करीब एक हजार करोड़ रुपये के कथित पीडीएस घोटाला मामले में शामिल अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज से संपर्क किया था. ये जानकारी ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में दी है. सुप्रीम कोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दावा किया है कि तत्कालीन कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के दो नौकरशाह अपने खिलाफ चल रहे मामले को कमजोर करने के लिए सबूतों से छेड़छाड़ कर रहे थे. हालांकि, ईडी के 1 अगस्त के हलफनामे में संबंधित जज का नाम नहीं है. लेकिन व्हाट्सएप चैट डिटेल्स से पता चलता है कि वह जस्टिस अरविंद कुमार चंदेल थे. ईडी ने कहा कि उनसे उनके भाई और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह के जरिए संपर्क किया गया था.
जज के संपर्क में थे दो अधिकारी ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ के नागरिक जन आपूर्ति निगम (पीडीएस) घोटाले में आरोपी दो वरिष्ठ नौकरशाह अनिल कुमार टुटेजा और आलोक शुक्ला अक्टूबर 2019 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज के संपर्क में थे. उसी जज की अदालत से 16 अक्तूबर 2019 को आलोक शुक्ला को जमानत पर रिहाई का आदेश जारी हुआ था. ईडी ने दावा किया है कि तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा दोनों दागियों और न्यायाधीश के बीच संपर्क बनाए हुए थे.जस्टिस चंदेल को इस साल पटना हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था.
ईडी ने लगाए ये आरोप ईडी ने कहा है कि मुकदमे को पटरी से उतारने की कोशिश किए जाने की जांच शुरू करने के लिए हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं. टुटेजा तत्कालीन एडवोकेट जनरल सतीश चंद्र वर्मा के माध्यम से न्यायाधीश के संपर्क में थे, जैसा कि 31 जुलाई और 11 अगस्त 2019 के व्हाट्सएप संदेशों से स्पष्ट है. इसमें कहा गया है, "व्हाट्सएप संदेशों से पता चला है कि न्यायाधीश की बेटी और दामाद का बायोडाटा तत्कालीन एजी द्वारा अनुकूल कार्रवाई के लिए टुटेजा को भेजा गया था, जो न्यायाधीश और दोनों मुख्य आरोपी टुटेजा और शुक्ला के बीच समन्वय का काम कर रहे थे."
ईडी ने कहा, "टुटेजा और शुक्ला आरोपी शुक्ला की अग्रिम जमानत के मामले को लेकर जज के भाई (अजय सिंह) के संपर्क में थे, जो जज की बेंच के समक्ष लंबित था. जैसे ही 16 अक्टूबर 2019 को दोनों आरोपियों को जमानत दी गई, जज के भाई को मुख्य सचिव के पद से हटा दिया गया और 1 नवंबर 2019 को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया.
इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपी सह-आरोपी शिव शंकर भट्ट के मसौदा बयान को साझा कर संशोधित करने में शामिल थे, ताकि अनुसूचित अपराध में अन्य प्रमुख आरोपियों की भूमिका कमजोर साबित की जा सके. ईडी ने कहा कि टुटेजा और शुक्ला के तत्कालीन महाधिवक्ता के साथ 4 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2019 के व्हाट्सएप चैट के विश्लेषण से जस्टिस चंदेल के भाई और तत्कालीन एडीजी आर्थिक अपराध शाखा-भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो रायपुर की भूमिका का पता चलता है. इस समय वही अनुसूचित अपराध का बचाव करने के प्रभारी थे. दोनों आरोपियों को भ्रष्टाचार के आरोपों से बरी करने के लिए उनके खिलाफ दर्ज मामले को कमजोर करने में इन्होंने ही अहम भूमिका निभाई.
यह भी पढ़ें: पीडीएस को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए सरकार कितनी गंभीर!
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बड़ी स्वीकारोक्ति में माना है कि कांग्रेस दलितों और OBC के हितों की रक्षा उस तरह से नहीं कर पाई जैसा पार्टी को करना चाहिए था. राहुल ने इसके लिए 1990 के दशक के कांग्रेस नेतृत्व को दोष दिया. राहुल ने दो टूक कहा कि अगर वे ऐसा नहीं कहते हैं तो इसका मतलब है कि वे झूठ बोल रहे हैं.
दिल्ली में चुनाव है और चुनाव की इस गहमा-गहमी के बीच यमुना भी बड़ा चुनावी मुद्दा बनकर उभरी है. दावा किया जा रहा है कि यमुना में जहर है. आरोप लग रहे हैं कि यमुना का जल पीने तो क्या आचमन के लायक भी नहीं है. दिल्ली की बड़ी रिहायश आज भी पानी की कमी से जूझ रही है. यमुना, जो दिल्ली में नालों का संगम बन गई है, जिसमें केमिकल के झाग जब-तब बहते नजर आते हैं.
यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गया है. केजरीवाल ने हरियाणा सरकार पर यमुना में जहर मिलाने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी सांसद हर्ष मल्होत्रा ने पलटवार करते हुए उनसे सवाल पूछे. आजतक के शो सत्ते पे सत्ता में देखें हर्ष मल्होत्रा ने क्या कहा?
महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचे की संभावना थी. मेला प्रशासन की तरफ से भीड़ प्रबंधन के तमाम दावे किए जा रहे थे, लेकिन दावे सिर्फ दावे ही साबित हुए. भीड़ प्रबंधन में हुई लापरवाही और बदइंतजामी ने 30 श्रद्धालुओं को बेमौत मार दिया. अब सवाल यही है कि महाकुंभ में हुई भगदड़ का जिम्मेदार कौन है?
महाकुंभ को 18 दिन बीत चुके हैं. 29 करोड़ से ज्यादा लोग महाकुंभ में डुबकी लगा चुके हैं, मौनी अमावस्या के भगदड़ के अगले दिन यानी गुरुवार को ही पौने दो करोड़ लोग शाम चार बजे तक डुबकी लगा चुके हैं. एक भीड़ मौनी अमावस्य़ा पर थी, अब करोड़ों लोग बसंत पंचमी पर जुट सकते हैं, लेकिन जिम्मेदारों की नींद तब टूटी है, जब मौनी अमावस्या की रात भगदड़ में 30 मौत हो गईं.
दिल्ली पुलिस ने राजधानी में एक फर्जी वीजा रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने दो एजेंटों को भी गिरफ्तार किया है जो 10 लाख रुपये लेकर भोले-भाले लोगों को पोलैंड का फर्जी वीजा बनाकर देते थे. इस गिरोह की पोल तब खुली जब सौरव कुमार और सुमित कुमार नाम के दो शख्स पोलैंड जाने की कोशिश में थे. वो दुबई के रास्ते यात्रा कर रहे थे, लेकिन दुबई एयरपोर्ट पर उनके ट्रैवल डॉक्युमेंट्स फर्जी पाए गए. अधिकारियों ने उन्हें वहीं रोक लिया और डिपोर्ट कर भारत वापस भेज दिया.