चोरी के ट्रक, फर्जी रजिस्ट्रेशन और करोड़ों का हिसाब... नवी मुंबई क्राइम ब्रांच ने तीन RTO अफसरों को किया गिरफ्तार
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महाराष्ट्र के अमरावती में क्राइम ब्रांच ने आरटीओ के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि ये लोग चोरी के ट्रकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करते थे. ट्रक चुराने वाले गिरोह के साथ मिलकर इस पूरे काम को अंजाम दिया जा रहा था. नवी मुंबई क्राइम ब्रांच ने साढ़े पांच करोड़ के 29 ट्रक बरामद किए हैं. इस पूरे मामले की जांच की जा रही है.
महाराष्ट्र के अमरावती में बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां आरटीओ कार्यालय में चोरी किए गए ट्रकों का चेचिस नंबर पैसों का लेनदेन कर बदल जाता था. मुंबई क्राइम ब्रांच का कहना है कि इस खेल में आरटीओ अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे. नवी मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है. बताया जा रहा है कि अमरावती आरटीओ कार्यालय में अब तक 16 ट्रकों के चेसिस नंबर बदले जा चुके हैं.
पुलिस ने इस पूरे नेटवर्क के मुख्य सूत्रधार जावेद मनियार को गिरफ्तार किया है. जावेद पर महाराष्ट्र में 10 और दूसरे राज्यों में 9 केस दर्ज हैं. पुलिस का कहना है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए अरुणाचल, उत्तर प्रदेश, नागालैंड, दिल्ली और हरियाणा जैसी जगहों से ट्रक चोरी किए गए. इसके बाद इनके चेसिस का नंबर अमरावती व नागपुर के आरटीओ अधिकारियों की मदद से बदल दिया गया.
चोरी के ट्रकों को विशेष दलालों के माध्यम से फर्जी दस्तावेजों के साथ पंजीकृत किया, जबकि ट्रक वास्तव में अमरावती आरटीओ में थे ही नहीं. हालांकि ऐप पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन दिख रहा था. दलाल आरटीओ अधिकारियों को 'जी फॉर्म' कहते थे.
चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने के लिए दो लाख रुपये मांगे जाते थे. सूत्रों ने बताया कि जाली दस्तावेजों के माध्यम से बड़े वाहनों के पंजीकरण के लिए दो लाख की राशि का भुगतान किया जाता था. इसमें आरटीओ अधिकारी के लिए 75 हजार रुपये, दलाल के लिए 75 हजार रुपये, आरटीओ निरीक्षक के लिए 25 हजार रुपये और कार्यालय प्रमुख के लिए 10 हजार रुपये की दरें तय की गईं थीं. खास बात यह है कि 'जी फॉर्म' शब्द का इस्तेमाल आरटीओ में दलालों और अधिकारियों के बीच पैसों के लेन-देन के दौरान किया जाता था.
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