
चुनाव में भाई की हार और 400 राउंड गोलियों की बौछार... मुख्तार अंसारी के सबसे कुख्यात कांड कृष्णानंद राय हत्याकांड का पूरा सच जानिए
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माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. उसे बांदा जेल में हार्टअटैक आया था. मुख्तार को 2005 में पहली बार जेल हुई और तब से वो बाहर नहीं आ सका. हालांकि, पंजाब से लेकर यूपी के कई जिलों की जेलों में उसका ठिकाना बदलता रहा. मुख्तार के खिलाफ बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद गैंगस्टर के तहत भी एक्शन लिया गया. इस केस में मुख्तार को 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
माफिया डॉन से राजनेता बने मुख्तार अंसारी (63 साल) की मौत हो गई है. वो यूपी के बांदा की जेल में बंद था. गुरुवार शाम उसकी तबीयत बिगड़ी और बेहोशी की हालत में हॉस्पिटल ले जाया गया. वहां डॉक्टर्स ने इलाज किया. लेकिन जान नहीं बच सकी. डॉक्टर्स का कहना है कि दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार की मौत हुई है. गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ 65 केस दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट से लेकर एनएसए तक शामिल है. इनमें से उसे 8 मामलों में सजा हो चुकी थी. 21 केस विचाराधीन हैं. इसी के चलते वो सालों से जेल में बंद था.
मुख्तार साल 2005 में पहली बार तब जेल गया, जब उस पर मऊ दंगे भड़काने का आरोप लगा. ठीक एक महीने बाद 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत लोगों को गोलियों से भून दिया गया था. आरोप मुख्तार और उसके भाई अफजाल अंसारी पर लगे. इन दोनों घटनाओं के बाद से मुख्तार कभी जेल से बाहर नहीं आ सका. यहां तक कि वो पांच बार विधायक भी रहा. लेकिन, जेल में ही जनता दरबार से लगाकर अपनी 'सरकार' चलाता रहा. जानिए कृष्णानंद राय की हत्या, ब्रजेश सिंह कनेक्शन और बदला लेने के लिए मुख्तार अंसारी का फुल प्रूफ प्लान...
साल 2005 में यूपी में दो बड़ी वारदात हुई थीं, जिनमें मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया और इन घटनाओं ने हर किसी को हिलाकर रख दिया. पहला मामला मऊ दंगों से जुड़ा है. वहां भरत मिलाप के दौरान दंगे भड़क गए थे. दरअसल, मुख्तार का एक कथित वीडियो सामने आया था, जिसमें वो जिप्सी में अपने हथियारबंद गुर्गों के साथ दंगा प्रभावित इलाके में घूमते दिखाई दिया था. मऊ दंगे के वक्त ही मुख्तार की एके-47 के साथ खुली जीप में तस्वीर वायरल हुई थी. हालांकि उसका कहना था कि वो लोगों को समझा रहे थे. मुख्तार निर्दलीय विधायक चुने गए थे, पर सपा सरकार का बरदहस्त हासिल था. इस मामले में मुख्तार ने 25 अक्टूबर 2005 को गाजीपुर में सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद से वो जेल में बंद है. ठीक एक महीने बाद 29 नवंबर को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई. उनके साथ 6 लोग और मारे गए. हमलावरों ने 400 राउंड फायरिंग की. इस हत्याकांड में भी मुख्तार को मुख्य आरोपी बनाया गया और कहा गया कि मुख्तार ने जेल में बैठे-बैठे कृष्णानंद की हत्या कर पुरानी दुश्मनी का बदला लिया है. हालांकि, सीबीआई ने मामले की जांच की और स्पेशल कोर्ट से मुख्तार बरी हो गया. कोर्ट ने गैंगस्टर मामले में दोषी पाया और 10 साल की सजा और जुर्माना सुनाया.
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मुख्तार पर हमले से अदावत की शुरुआत और कृष्णानंद की हत्या से कसा शिकंजा, जान लीजिए ये पूरा केस...
मुख्तार अंसारी पहली बार 1996 में मऊ सीट से बसपा विधायक चुने गए. बात 15 जुलाई 2001 की है. मुख्तार का काफिला मऊ से गाजीपुर स्थित अपने पैतृक घर मुहम्मदाबाद के लिए निकला. रास्ते में उसरी चट्टी के पास ट्रक में सवार हमलावरों ने मुख्तार को टारगेट बनाया और गोलियों की बरसात कर दी. घटना में मुख्तार के सरकारी गनर और प्राइवेट गनर समेत 3 लोग मारे गए. कहा जाता है कि मुख्तार के वाहन से भी गोली चलाई गई और हमलावरों में से एक मनोज राय मौके पर ढेर हो गया. इस मामले में मुख्तार के जानी दुश्मन ब्रजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई गई. ब्रजेश की मुख्तार से दुश्मनी इसलिए थी, क्योंकि मुख्तार उसके दुश्मन साधू सिंह का करीबी थी. साधू सिंह के परिवार की दुश्मनी एक जमीन के टुकड़े को लेकर ब्रजेश सिंह के परिवार से हो गई थी. यह अदावत समय के साथ हत्याएं होने से बढ़ती गई. दूसरी वजह यह थी कि 1990 में गाजीपुर के सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था, लेकिन मुख्तार अंसारी के गिरोह ये ठेके छीनने शुरू कर दिए थे. कहा जाता है कि मुख्तार पर अटैक के बाद ही ब्रजेश सिंह ने इलाका छोड़ दिया और फिर मुंबई पहुंचा. वहां सुभाष ठाकुर और इसके बाद दाऊद से मिला. दाऊद के जीजा की हत्या का बदला लेने के लिए जेजे हत्याकांड हुआ, जिसमें ब्रजेश का नाम आया. ब्रजेश सिंह को 2008 में ओडिशा से गिरफ्तार किया गया.

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