चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता दी, ‘तीर और धनुष’ चिह्न आवंटित किया
The Wire
चुनाव आयोग के इस फैसले को उद्धव ठाकरे ने ‘लोकतंत्र की हत्या’ क़रार दिया. उन्होंने कहा कि शिंदे गुट ने शिवसेना का चुनाव चिह्न चुरा लिया है. हम लड़ते रहेंगे और उम्मीद नहीं खोएंगे. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने इस घटनाक्रम को ‘ख़तरनाक’ बताया है.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के गुट को ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता दी है. लगभग आठ महीने पहले शिंदे के विद्रोह के कारण मूल पार्टी दो गुटों में बंट गई थी.
चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि शिंदे गुट को ‘तीर और धनुष’ चुनाव चिह्न मिलेगा, जो मूल पार्टी चिह्न है. शिंदे के पार्टी में विद्रोह के बाद आयोग ने इस प्रतीक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी और शिंदे गुट को ‘दो तलवार और ढाल’ तथा उद्धव ठाकरे खेमे को ‘धधकती मशाल’ का निशान आवंटित कर दिया था.
दोनों धड़ों ने पार्टी के चुनाव चिह्न और पार्टी के नाम दोनों पर अपना दावा पेश किया था और अदालतों तथा चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया था.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 78 पेज के आदेश में दो गुटों के बीच की लंबी लड़ाई की पड़ताल की और कहा कि शिंदे के गुट को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के 76 प्रतिशत विजयी वोटों के साथ विधायकों का समर्थन प्राप्त है.