![चुनावी वादे और डेडलाइन पर डेडलाइन... आखिर क्यों खत्म नहीं हो पा रहा दिल्ली में 'कूड़े का पहाड़'?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/66260b877617a-gazipur-landfill-220230668-16x9.png)
चुनावी वादे और डेडलाइन पर डेडलाइन... आखिर क्यों खत्म नहीं हो पा रहा दिल्ली में 'कूड़े का पहाड़'?
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गाजीपुर में कचरे का पहाड़ हटने का नाम ही नहीं ले रहा है क्योंकि कई सालों से इस काम में सिर्फ एक ही एजेंसी धीमी गति से कचरा निपटारण के काम में लगी है. वहीं प्रशासन का कहना है कि साल 2026 तक कूड़े का निस्तारण कर दिया जाएगा.
गाजीपुर लैंडफिल दुनियाभर में जाना-पहचाना जाता है. आए दिन इसे खत्म करने की जोर पकड़ती रहती है लेकिन इस बार ये तब चर्चा में आया जब इस पर भयंकर आग लग गई. इससे पूरा इलाका जहरीली गैस और धुएं से भर गया है. 70 एकड़ में फैली गाजीपुर लैंडफिल साइट की शुरुआत साल 1984 में शुरू हुई थी. इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार के बराबर करीब 65 मीटर हो चुकी थी. हालांकि, अब ये घटकर 50 मीटर ऊंची है. पहले यहां करीब 140 लाख टन कचरा पड़ा हुआ था. साल 2024 में इसे खत्म करने का लक्ष्य था, लेकिन अब इसे साल 2026 तक बढ़ा दिया गया है.
इस वजह से बढ़ानी पड़ी डेडलाइन साल 2019 में गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जमे कूड़े को हटाने का काम शुरू हुआ था, तब वहां 140 मेट्रिक टन कूड़ा मौजूद था. उसके बाद एलजी की निगरानी में तय किया गया था कि साल 2024 तक लैंडफिल साइट को खत्म करके यहां पर पार्क विकसित किया जाएगा पर अब तक ऐसा नहीं हो पाया है.
दिल्ली नगर निगम के आंकड़े के मुताबिक, 5 साल में 25 ट्रामेल मशीन की मदद से करीब 46 मेट्रिक टन कूड़े का ही निपटारा हो पाया है. यही वजह है कि कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई कम हुई है, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और अभी तक इस पर 84 मेट्रिक टन कूड़ा बचा है. निगम की जानकारी के मुताबिक, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर अभी एक ही एजेंसी कूड़ा निस्तारण का काम कर रही है. कूड़ा निपटारा तेजी से करने के साथ ही दूसरी एजेंसी को काम पर लगाने की योजना प्रशासनिक व्यवधान के चलते नहीं हो पा रही है, क्योंकि निगम में स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ है. इन कारणों से नहीं हो पाया निगम समिति का गठन अभी तक कूड़े के पहाड़ को खत्म करने के लिए 1 ही एजेंसी काम कर रही है क्योंकि दूसरी एजेंसी के चयन की प्रक्रिया के लिए अब तक टेंडर नहीं आया है और इसका कारण है निगम की सबसे पावरफुल कमिटी स्टैंडिंग का गठन ही नहीं हो पाना क्योंकि दिल्ली नगर निगम एक्ट के मुताबिक, कोई भी टेंडर सबसे पहले स्टैंडिंग कमिटी से अप्रूवल के बाद ही लाया जाता है. यही वजह है कि गाजीपुर कूड़े के पहाड़ पर कचरा निस्तारण का काम 1 ही एजेंसी कर रही है. काम की गति धीमी होने के कारण कचरे के पहाड़ को पूरी तरह से खत्म करने की समय सीमा बढ़ाकर साल 2026 करनी पड़ी है.
दिल्ली नगर निगम के पब्लिक रिलेशन अफसर अमित कुमार का कहना है कि गाजीपुर लैंडफिल साइट पर मौजूद 30 लाख टन कूड़े का निस्तारण करने के लिए दूसरी एजेंसी का चयन होना था, जो स्थाई समिति का गठन ना होने के चलते अटका है. लिहाजा कूड़ा निस्तारण की गति अब तक धीमी है.
अर्बन एक्सपर्ट जगदीश ममगाई का कहना है कि आग लगने से गाजीपुर ही नहीं बल्कि मयूर विहार फेज 3 तक का पूरा इलाका प्रदूषित हो जाता है. वहीं कई रिसर्च मे भूमिगत जल भी दूषित होने की बात सामने आयी हैं. इसके अलावा लैंडफिल साइट के करीब 7 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोग बुरी तरह से प्रभावित होते हैं.
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