
चीन से ताइवान को बचाने वाली 'सिलिकॉन शील्ड' कैसे काम करती है
BBC
ताइवान अगर खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करता है तो चीन की सेना उस पर हमला कर सकती है. लेकिन कई साल के तनाव और धमकियों के बाद ताइवान ने एक रणनीति खोज ली है जिससे वो चीन के हमले से बचता रहा है.
विश्व की एक महाशक्ति के सामने एक छोटा-सा द्वीप है जो क्यूबा जितना बड़ा भी नहीं है. ताइवान, पीपुल्ज़ रिपब्लिक ऑफ़ चाइना से महज़ 180 किलोमीटर दूर है. ताइवान की भाषा और पूर्वज चीनी ही हैं लेकिन वहां अलग राजनीतिक व्यवस्था है और यही चीन और ताइवान के बीच दुश्मनी की वजह भी है. ताइवान की खाड़ी के एक तरफ़ 130 करोड़ की आबादी वाला चीन है जहां एकदलीय राजव्यवस्था है जबकि दूसरी तरफ ताइवान है, जहां दो करोड़ 30 लाख लोग लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं. चीन और ताइवान के बीच 1949 से विवाद चला आ रहा है जिसकी वजह से ताइवान की पहुंच अंतरराष्ट्रीय संगठनों तक नहीं है और उसे सीमित अंतरराष्ट्रीय मान्यता ही मिली हुई है. दुनिया के सिर्फ 15 देश ही ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र मानते हैं. वहीं, चीन इसे अपने से अलग हुआ हिस्सा और एक विद्रोही प्रांत मानता है. साल 2005 में चीन ने अलगाववादी विरोधी क़ानून पारित किया था जो चीन को ताइवान को बलपूर्वक मिलाने का अधिकार देता है.More Related News