चीन ने क्या अपने ही दोस्त पुतिन के ज़ख़्म पर छिड़का नमक?
BBC
चीन और रूस अमेरिका के मामले में हमेशा साथ खड़े दिखते हैं लेकिन इस बार चीन ने अमेरिका को धमकाने के लिए कहा कि उसे सोवियत यूनियन समझने की भूल ना की जाए. आख़िर इस बयान के मायने क्या हैं?
सोवियत यूनियन के टूटने से रूस का नेतृत्व आज तक उबर नहीं पाया है. इसी महीने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि सोवियत यूनियन के टूटने के तीन दशक बाद भी रूस के ज़्यादातर नागरिकों के लिए यह त्रासदी ज़िंदा है.
पुतिन ने कहा था, 'जिसे हम सोवियत यूनियन कहते हैं, वो एक ऐतिहासिक रूस था'. पुतिन की यह टिप्पणी तब आई है, जब सोवियत यूनियन का हिस्सा रहे यूक्रेन पर रूसी हमले का ख़तरा मंडरा रहा है.
सोवियत यूनियन के बिखरने के साथ ही शीत युद्ध (कोल्ड वॉर) का अंत हो गया था और अमेरिकी बादशाहत को चुनौती देनेवाला कोई देश नहीं बचा था.
कहा गया कि अब दुनिया एकध्रुवीय हो गई है. लेकिन अब एक नए शीत युद्ध की शुरुआत मानी जा रही है. इस बार अमेरिका के सामने रूस नहीं चीन है. चीन ने इस संभावित या 'जारी शीतयुद्ध' को लेकर जो कुछ कहा है वो अमेरिका के लिए तो चुनौती है ही साथ ही रूस के पुराने ज़ख़्मों को भी हरा करने वाला है.
अमेरिका में चीन के राजदूत क़िन गांग ने पिछले सोमवार को एक प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा था कि अगर कोई नया शीत युद्ध चल रहा है तो चीन सोवियत यूनियन नहीं है कि हार जाएगा. गांग ने अमेरिका को सतर्क करते हुए कहा कि वो ताइवान के मामले में एहतियात से काम ले क्योंकि यह दोनों को आमने-सामने लाने के लिए काफ़ी है.