चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तिब्बत दौरे में भारत के लिए क्या संदेश छिपा है?
BBC
शी जिनपिंग के अचानक तिब्बत जाने को किस नज़रिए से देखते हैं जानकार? क्या भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाला दौरा है या भारत पर दबाव बनाने की रणनीति है?
तिब्बत के विश्व ख्याति प्राप्त पोटाला बाज़ार के दुकानदारों को जब चीन की सरकार की तरफ़ से नोटिस मिला कि उन्हें 22 जुलाई को दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रखने हैं, तो किसी को भी ये अंदाज़ा नहीं था कि वहां कौन आने वाला है. सबको इतना ज़रूर पता था कि शायद कोई सरकारी प्रतिनिधिमंडल आएगा, जिसमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी यानी 'सीपीसी' के बड़े नेता भी शामिल होंगे. लेकिन बिना किसी पूर्व घोषणा के चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वहाँ पहुँच गए. चीन के राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के बाद ये पहली बार था, जब जिनपिंग तिब्बत की यात्रा पर वहां पहुँचे. चूँकि इस दौरे की पहले से कोई घोषणा नहीं थी, इसलिए उनके वहां अचानक जान से सामरिक मामलों के जानकार भी अचंभे में पड़ गए. ल्हासा के पोटाला महल के बाहर उन्होंने एक जनसभा को संबोधित भी किया. चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, जिनपिंग के अपने संबोधन में कहा, "जब तक हम कम्युनिस्ट पार्टी का अनुसरण करते रहेंगे और समाजवाद के रास्ते पर चलते रहेंगे, हमारे लिए अपने राष्ट्र की कायाकल्प करना आसान हो जाएगा."More Related News