'चीन का उदय और अस्थिर सीमाएं...', CDS जनरल अनिल चौहान ने बताया भारत के सामने क्या है असल चुनौती
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इस बात पर जोर देते हुए कि चीन का उदय अन्य देशों को भी प्रभावित करता है, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने क्षेत्र में शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए भारत को समान विचारधारा वाले देशों पर ध्यान देने का सुझाव दिया.
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने चीन के साथ अस्थिर सीमाओं और उसके उदय को 'सबसे विकट चुनौती' बताया, जिसका भारत और भारतीय सशस्त्र बलों को 'निकट भविष्य' में सामना करना पड़ेगा. पुणे में 'स्ट्रैटेजिक एंड सिक्योरिटी डायलॉग' के तीसरे संस्करण में 'चीन का उदय और विश्व पर इसका प्रभाव' विषय पर अपने संबोधन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा, 'आज हम जिस चुनौती का सामना कर रहे हैं वह अस्थिर सीमाएं हैं. भारत का पड़ोसियों के साथ सीमाओं को लेकर विवाद है और इन संघर्षों के कारण वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और नियंत्रण रेखा (LOC) जैसे शब्द सामने आए हैं'. कार्यक्रम का आयोजन सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के रक्षा और सामरिक अध्ययन विभाग द्वारा किया गया था, जिसमें बोलते हुए सीडीएस अनिल चौहान ने कहा, 'भारत की प्राचीन सीमाएं अंग्रेजों के शासनकाल में दृढ़ सीमाओं का आकार लेने लगीं, लेकिन स्वतंत्रता पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की वैधता नहीं मिल सकी. इस प्रकार हमें विवादित सीमाएं विरासत में मिलीं. चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जे ने उसे हमारा एक नया पड़ोसी बना दिया, और भारत के विभाजन ने एक नया राष्ट्र बनाया जो हमारे प्रति शत्रुता और नफरत लेकर जन्मा. भारतीय सशस्त्र बलों को चीन और पाकिस्तान से लगने वाली विवादित सीमाओं पर शांतिकाल के दौरान भारत के दावों की वैधता बनाए रखने की जरूरत है'.
सीडीएस चौहान ने कहा कि दुनिया की सभी विवादित सीमाओं की तरह हमारे साथ भी विरोधी द्वारा नक्शे में छेड़छाड़ और नया विमर्श गढ़ने की प्रवृत्ति बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा कि इसका हम सभी को सभी स्तरों पर सामूहिक रूप से मुकाबला करना होगा, जिसमें शिक्षाविद, रणनीतिकार, विचारक, छात्र शामिल होंगे. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष के सभी बिंदुओं पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) से चतुराई से निपटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को नियमों के दायरे में रहकर काम करने की जरूरत है.
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भारत और चीन के संबंधों को द्विआधारी तरह के नजरिए से नहीं देखा जा सकता. इस बात पर जोर देते हुए कि चीन का उदय अन्य देशों को भी प्रभावित करता है, उन्होंने क्षेत्र में शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए भारत को समान विचारधारा वाले देशों पर ध्यान देने का सुझाव दिया. विरोधियों की तुलना में तकनीकी प्रगति के संबंध में, जनरल चौहान ने इसके संभावित प्रतिकूल परिणामों पर जोर देते हुए आगाह किया. उन्होंने कहा, 'अतीत में प्रौद्योगिकी को नजरअंदाज करने की व्यवस्था मौजूद थी, लेकिन अब हम जो देख रहे हैं वह तकनीकी बढ़त बनाए रखने की होड़ है. भारत तकनीकी स्तर पर अपने विरोधियों से पिछड़ने का जोखिम नहीं उठा सकता. यह हमारे लिए घातक होगा'.
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