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चीन और भारत कोयले से बिजली बनाएं या दुनिया की आबोहवा बचाएं?
BBC
भारत और चीन दोनों ही देशों के सामने बिजली संकट के कारण कोयले का उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का लक्ष्य पूरा करने की चुनौती है.
भारत समेत पूरी दुनिया ऊर्जा संकट का सामना कर रही है. भारत में बिजली उत्पादन के लिए कोयले का कुछ ही दिनों का स्टॉक बचा है. हालांकि सरकार ने भरोसा दिलाया है कि संकट जैसी स्थिति नहीं पैदा होने वाली है.
लेकिन दूसरी तरफ़, दुनिया भर में ब्लैक आउट के ख़तरे से जुड़ी रिपोर्टें आ रही हैं. कुछ दिनों पहले चीन में ब्लैक आउट की स्थिति देखी गई थी और भारत के लिए भी ऐसी आशंका जताई जा रही है.
ये संकट कई महीनों से धीरे-धीरे बढ़ रहा है. कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में आई तेज़ी से ऊर्जा खपत में अचानक बढ़ोतरी हुई है और बिजली की मांग बढ़ी है. लेकिन, कोयले का उत्पादन उस स्तर पर ना होने से कोयले की कमी हो गई है.
बीते दो महीनों में ही बिजली की ख़पत 2019 के मुकाबल में 17 प्रतिशत बढ़ गई है. इस बीच दुनिया भर में कोयले के दाम 40 फ़ीसदी तक बढ़े हैं जबकि भारत का कोयला आयात दो साल में सबसे निचले स्तर पर है.
चीन में भी लगभग यही स्थिति बनी हुई है और वो अपनी कोयले की खदानों में उत्पादन बढ़ा रहा है. न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अंदरूनी मंगोलिया में 70 से ज़्यादा कोयले की खदानों में 100 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं.