
चाणक्य नीति: बराबर वालों से साझा करें संघर्ष की बात, बनी रहती है प्रभाविता
ABP News
Chankya Niti : आचार्य चाणक्य अनुसार लोगों को मन की बात समान अनुभव, योग्यता और जीवन स्तर रखने वालों से करना चाहिए. इससे चर्चा प्रभावशाली बनी रहती है.
तक्षशिला के आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य गंभीर चर्चाएं समकक्ष लोगों से किया करते थे. किसी समस्या पर उन्हें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन चाहिए होता था तो मित्र आचार्याें से मंत्रणा करते थे. आचार्य का मानना था कि आपके संघर्ष को वही समझ सकता है जिसने आपके जैसा अनुभव जिया हो. वे राजपुरुषों, शिष्यों और अन्य अनुभवहीन लोगों से मंत्रणा नहीं करते थे. विष्णुगुप्त के पिता आचार्य चणक के कई शिष्य विष्णुगुप्त के बालसखा और मित्र थे. इसी प्रकार तक्षशिला के साथीगण उनके मंत्रणा के योग्य थे. आचार्य मानते थे कि जिसने समतुल्य अनुभव नहीं पाए हैं, उसे अपनी पीड़ा बताकर कोई लाभ नहीं होता है. वे उस कष्ट, संघर्ष और परेशानी को महसूस ही नहीं कर सकते जिसे उन्होंने स्वयं न देखा, समझा और भोगा हो. उक्तरोक्त के अतिरिक्त आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य यह भी कहते हैं कि संसार में कई ऐसे लोग हैं जो किसी की भी परेशानी नहीं समझते हैं. इनसे कोई चर्चा करना समय और ऊर्जा को व्यर्थ नष्ट करना है.More Related News