'घटिया दवाओं को तुरंत लें वापस',... सतर्कता विभाग ने स्वास्थ्य सचिव को लिखा पत्र
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दिल्ली सतर्कता विभाग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव को युद्धस्तर पर घटिया दवाओं को तुरंत वापस लेने के लिए पत्र लिखा है. उन्हें यह भी सलाह दी गई है कि अब से इनमें से कोई भी दवा मरीजों को नहीं दी जानी चाहिए. इन आपूर्तिकर्ता कंपनियों को आगे कोई भुगतान नहीं किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में खराब गुणवत्ता की दवा सप्लाई का मामला सामने आया था. इस मामले में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर चिंता जताई थी. अब इस मामले में सतर्कता विभाग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने सरकार अस्पतालों में सप्लाई की गई घटिया दवाओं को वापस लेने के लिए पत्र लिखा है.
बता दें कि, दिल्ली सतर्कता विभाग ने दिल्ली के स्वास्थ्य सचिव को युद्धस्तर पर घटिया दवाओं को तुरंत वापस लेने के लिए पत्र लिखा है. उन्हें यह भी सलाह दी गई है कि अब से इनमें से कोई भी दवा मरीजों को नहीं दी जानी चाहिए. इन आपूर्तिकर्ता कंपनियों को आगे कोई भुगतान नहीं किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए. उन्हें इन दवाओं की खरीद से संबंधित सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेने और 26 दिसंबर तक उनकी मूल प्रतियां उपलब्ध कराने की भी सलाह दी गई है.
बता दें कि, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी के सरकारी अस्पतालों में सप्लाई की जा रही खराब गुणवत्ता की दवाओं की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की सिफारिश की थी. मुख्य सचिव को लिखे एक पत्र में, एलजी ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि निजी और सरकारी लैब में टेस्ट की गई ये दवाएं अच्छी गुणवत्ता की नहीं निकलीं. उन्होंने कहा कि ये दवाएं दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में लाखों मरीजों को दी जा रही हैं और संभवत: मोहल्ला क्लीनिकों में भी इनकी आपूर्ति की जा रही है. वीके सक्सेना ने इन दवाओं की खरीद के लिए भारी-भरखम बजट खर्च किए जानें पर चिंता व्यक्त की थी और आरोप लगाया कि इसमें अन्य राज्यों के आपूर्तिकर्ता और निर्माता शामिल हो सकते हैं.
उन्होंने चीफ सेक्रेटरी को लिखे अपने पत्र में घटिया दवाओं के मामले पर सतर्कता निदेशालय की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सरकारी प्रयोगशालाओं को भेजे गए 43 नमूनों में से 3 गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहे, जबकि 12 की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है. निजी प्रयोगशालाओं को भेजे गए अन्य 43 नमूनों में से पांच नमूने गुणवत्ता मानकों का पालन करने में विफल रहे और 38 नमूने मानक गुणवत्ता के पाए गए थे.
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