गोवा में खनन क्यों है बड़ा चुनावी मुद्दा ?- ग्राउंड रिपोर्ट
BBC
गोवा में विधानसभा चुनाव करीब हैं और ये दावा किया जा रहा है कि जिस पार्टी के पास खनन का रोडमैप नहीं है, उसे यहां दिक्कत हो सकती है, क्या है वजह, पढ़िए
गोवा हमेशा से देसी और विदेशी पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन रहा है. लगभग सारे पर्यटक उत्तरी गोवा के सुंदर तटों का मज़ा लेकर वापस लौट जाते हैं. दक्षिण गोवा कोई पर्यटक नहीं जाता, जहां पहाड़ों के नीचे लाखों टन लौह अयस्क का एक बड़ा ख़ज़ाना छिपा है.
राज्य में कच्चे लोहे का खनन दशकों तक हुआ. लेकिन ग़ैर क़ानूनी माइनिंग और पर्यावरण की बर्बादी की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सभी कंपनियों के माइनिंग लीज़ रद्द कर दिए, जिसके कारण गोवा में खनन पूरी तरह से बंद हो गया. वैसे मुक़दमाबाज़ी और अवैध खनन के आरोपों की वजह से 2012 में ही अधिकतक खानों को बंद कर दिया गया था.
बंद होने के वक़्त लौह अयस्क का सालाना टर्नओवर 22,000 करोड़ रुपये का था और इसके सब से महत्वपूर्ण ग्राहक चीन और जापान थे.
कच्चे लोहे के खनन और इसके सहायक उद्योगों और व्यापारों से जुड़े लाखों स्थानीय लोग बेरोज़गार बैठे हैं. राज्य को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है. लौह अयस्क निर्यात करने वाले खनन के मालिकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ये मामला संवेदनशील है और विवादास्पद भी है.