गोरखपुर के उनवल में 20 दिनों में 30 से ज्यादा लोगों की मौत, लगातार हो रही मौतों से खौफ में ग्रामीण
ABP News
गोरखपुर से 20 किलोमीटर दूर नगर पंचायत उनवल कस्बा संग्रामपुर में लगातार मौतें हो रही हैं. 60 हजार की आबादी वाले 14 वार्ड के नगर पंचायत उनवल कस्बे में लगातार मौतों से लोग दहशत में हैं. मरने वाले अधिकतर लोगों को सर्दी-जुकाम और बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत की थी. ग्रामीणों का दावा है कि बीते 15 से 20 दिनों में 30 से 35 लोगों की मौत हो चुकी है.
गोरखपुरः कोरोना महामारी की दूसरी लहर में कस्बों और गांव में भी डर और दहशत का माहौल है. रोज हो रही मौतों के मातम से ग्रामीणों में खौफ भी है. गोरखपुर में शहर की अपेक्षा अब गांव में पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ रही है. पहली बार प्रशासनिक आंकड़ों में शहर की अपेक्षा गांव में पॉजिटिव केस अधिक हैं. कस्बों और गांव में लगातार हो रही मौतों से सड़क और पगडंडियों पर भी सन्नााटा पसरा हुआ है. डर के मारे लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं. वहीं कुछ घरों में पॉजिटिव केस होने की वजह से भी लोग घरों के अंदर कैद हैं. गोरखपुर में शनिवार को जारी किए गए प्रशानिक आंकड़े की मानें तो बीते 24 घंटे में 685 पॉजिटिव केस मिले हैं. पहली बार शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों के पॉजिटिव केसों की संख्या अधिक हुई है. आंकड़ों को गौर करें तो शहरी क्षेत्र में बीते 24 घंटे में 286 और ग्रामीण क्षेत्र में 364 पॉजिटिव केस मिले हैं. अन्य जगहों पर 35 पॉजिटिव केस मिले हैं. 24 घंटे में बीआरडी मेडिकल कालेज में 5 मौतें हुई हैं. इनमें 42, 49 और 70 साल के तीन पुरुष के साथ 60 साल की दो महिलाएं शामिल हैं. अब तक कुल 564 लोगों की गोरखपुर में कोरोना से मौत हो चुकी है. एक्टिव केस 7,148 है. कुल पॉजिटिव केसों की संख्या 53,932 है. आकसस्मिक मौतों से से दहशत का माहौलहमने गोरखपुर से 20 किलोमीटर दूर बांसगांव के नगर पंचायत उनवल कस्बात संग्रामपुर का दौरा करके यह जाना कि आखिर वहां पॉजिटिव केसों की संख्या बढ़ने के साथ लगातार हो रही मौतों की वजह क्या है. 60 हजार की आबादी वाले 14 वार्ड वाले नगर पंचायत उनवल कस्बे में लगातार मौतों से लोग दहशत में हैं. खजनी थानाक्षेत्र के उनवल नगर पंचायत में पिछले कुछ दिनों में लगातार हो रही आकतस्मिक मौतों से ग्रामीणों के बीच दहशत है. इनमें से अधिकतर को सर्दी-जुकाम और बुखार के साथ सांस लेने में दिक्कत थी. ग्रामीणों को मौतों की वजह नहीं मालूम ग्रामीणों का दावा है कि बीते 15 से 20 दिनों में 30 से 35 लोगों की मौत हो चुकी है. हर रोज हो रही मौत से लोगों में दहशत है. एक दिन तो यहां पांच लोगों की मौत से सन्नाटा पसरा गया. उनवल की रहने वाली प्रधानाध्याापिका रहीं 50 वर्षीय सुधा पाण्डे पत्नी सूर्य प्रकाश पाण्डे, 55 वर्षीय सुधा चौधरी, 67 वर्षीय परशुराम गुप्ता, वार्ड नंबर 5 के सभासद के पिता 70 साल के विदेश चौहान और बेलास गुप्ता के दामाद की मौत से लोग दहशत में आ गए. दूसरे दिन वार्ड नंबर 9 के रहने वाले 90 साल के शंकर यादव, 60 साल के जमशेद, वार्ड नंबर 4 तिवारी टोला के 25 वर्षीय अंगद त्रिपाठी, वार्ड नंबर 4 की 60 वर्षीय सुभावती निषाद, वार्ड नंबर 11 के 62 वर्षीय महेश गौड़, वार्ड नंबर एक के 60 साल के रामलखन की मौत हो गई. हालांकि ये पता नहीं चल पाया कि सामान्य मौतें रही हैं या फिर इनकी मौत कोरोना से हुई है. लेकिन, ग्रामीण बताते हैं कि एक माह के भीतर नगर पंचायत उनवल में 30 से 35 लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन ये मौतें कोरोना से हुई हैं या फिर सामान्य मौतें हैं. इसके बारे में जांच नहीं होने से पता नहीं चल पाया. स्वास्थ्य सुविधाओं का अभावयूपी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री राजा जय प्रताप सिंह नगर पंचायत उनवल स्टेट घराने सगे संबंधियों में हैं. लेकिन, ये नगर पंचायत स्वास्थ्य सुविधाओं से पूरी तरह से महरूम है. संग्रामपुर कस्बा के रहने वाले लोगों की मानें, तो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो है. लेकिन, इसके अलावा कोई स्वास्थ्य सुविधा यहां पर दूर-दूर तक नहीं है. नगर पंचायत उनवल के संग्रामपुर के रहने वाले ज्येाष्ठ प्रमुख और जिला पंचायत सदस्य रह चुके हरिशंकर सिंह, लाल बाबू साहनी, डा. राकेश त्रिपाठी, शिवमूरत, विनोद, रीता, सुमेला बताती हैं कि कोरोना महामारी की वजह से कस्बे में दहशत है. ज्यादातर मौतें सामान्य दिखाई गई वहीं, लोग घरों से निकलने से डर रहे हैं. बीते 10 से 15 दिनों में 30 से 35 मौतें हो चुकी हैं. ये पता नहीं चल पाया है कि उनकी मौतें कैसे हुई हैं. लेकिन, लगातार हो रही मौतों का सिलसिला बीते चार से पांच दिन से थमा हुआ है. इनमें से अधिकतर मौतें सामान्यन ही दिखाई दी हैं. संग्रामपुर कस्बेा के लोग बताते हैं कि यहां स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है. जांच की व्यवस्था होती तो कुछ लोगों की बचाई जा सकती थी जान यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो है. लेकिन, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है. इसके साथ ही यहां पर जांच के लिए टीम भी नहीं आई है. मौत का आंकड़ा बढ़ने से लोगों के अंदर डर और दहशत हो गई है. स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखने बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नहीं है. सरकार की मंशा सही होने के बावजूद अधिकारियों की मंशा ठीक नहीं है. यहां पर स्वास्थ्य सुवविधाओं के साथ जांच की व्यवस्था हुई होती तो कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी. यह भी पढ़ेंकोरोना संकट: देश में 24 घंटे में 3.11 लाख लोग हुए संक्रमित, 4 हजार से ज्यादा मौतMore Related News