
गुरुद्वारा और सरेंडर की प्लानिंग... पढ़ें अमृतपाल की साजिश की 'इनसाइड स्टोरी'
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अमृतपाल के इस प्लान ए और प्लान बी की बात करेंगे, साथ ही उसके सरेंडर का पूरा ब्लू प्रिंट भी समझेंगे, लेकिन आइए पहले उसके सरेंडर की उस तैयारी को समझते हैं, जो ना सिर्फ फेल हो गई, बल्कि जिसकी वजह से उसके सरेंडर की ये खुफिया तैयारी भी काफी हद तक बेनकाब हो गई.
पंजाब पुलिस समेत तमाम एजेंसियों के लिए छलावा बन चुके खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने अपने सरेंडर के लिए जमीन तलाशने की शुरुआत कर दी है. वो पुलिस, सुरक्षा एजेंसियों या कोर्ट के सामने सरेंडर करने की बजाय सिखों के किसी बड़े धार्मिक स्थल या समागम के बीच खुद को कानून के हवाले करना चाहता है, ताकि सिखों के बीच वो अपनी छवि चमका सके और खुद को बड़े खालिस्तानी लीडर के तौर पर स्थापित कर सके. सूत्रों की मानें तो इसके लिए उसने दो प्लान तैयार किए हैं. प्लान ए और प्लान बी. ताकि अगर प्लान ए फेल भी हो जाए, तो प्लान बी के सहारे पुलिस के साथ चल रहे चूहे-बिल्ली के इस खेल को किसी ऐसे मुकाम तक पहुंचाया जा सके, जहां उसकी कम से कम थोड़ी बहुत इज्जत तो बनी रहे.
अमृतपाल के इस प्लान ए और प्लान बी की बात करेंगे, साथ ही उसके सरेंडर का पूरा ब्लू प्रिंट भी समझेंगे, लेकिन आइए पहले उसके सरेंडर की उस तैयारी को समझते हैं, जो ना सिर्फ फेल हो गई, बल्कि जिसकी वजह से उसके सरेंडर की ये खुफिया तैयारी भी काफी हद तक बेनकाब हो गई.
होशियारपुर के गुरुद्वारे में छुपा था अमृतपाल असल में पिछले 27 मार्च को पंजाब पुलिस को मिली एक गुप्त सूचना के जरिए अमृतपाल के सरेंडर की ये साजिश बेनकाब हुई. हुआ यूं कि अमृतसर ग्रामीण के एसएसपी सतिंदर सिंह और जालंधर के काउंटर इंटेलिजेंस के एआईजी नवजोत महल को इस रोज अमृतपाल और उसके साथ पप्पलपीत के होशियारपुर जिले के एक गुरुद्वारे में छुपे होने की खबर मिली थी. सूत्रों ने पुलिस को बताया कि दोनों होशियारपुर जिले के नडालों गांव में मौजूद गुरुद्वारा जन्मस्थान संत बाबा निधान सिंह में छुपे हैं. अगले ही दिन यानी 28 मार्च को दोनों के यहां से आगे निकल जाने की खबर भी थी. ऐसे में पुलिस ने फौरन नडालों गांव के इस गुरुद्वारे में तलाशी का फैसला किया. लेकिन इससे पहले कि पुलिस वहां पहुंचती, दोनों गुरुद्वारा परिसर में बने कमरों को छोड़ कर फरार हो चुके थे.
पुलिस के सामने आई नई कहानी हालांकि यहां छानबीन के दौरान पुलिस को एक नई कहानी पता चली. पुलिस को जानकारी मिली कि गुरुद्वारा जन्मस्थान संत बाबा निधान सिंह के जत्थेदार गुरमीत सिंह ठीक उन्हीं दिनों में अमृतसर के लिए रवाना हो गए थे, जिन दिनों में अमृतपाल और पप्पलपीत वहां छुपने के लिए पहुंचे थे. असल में अमृतपाल के साथ इस गुरुद्वारे के जत्थेदार गुरमीत सिंह की पुरानी जान पहचान है और खबरों के मुताबिक उन दिनों जत्थेदार गुरमीत सिंह, अमृतपाल के कहे मुताबिक ही अमृतसर में अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मिलने के लिए पहुंचे थे, ताकि उन्हें अकाल तख्त साहिब में अमृतपाल के सरेंडर के लिए राजी करवा सकें. लेकिन ऐसा हो नहीं सका और पुलिस को पहले ही खबर मिल गई. जिसके बाद अमृतपाल को ना सिर्फ होशियारपुर का ये गुरुद्वारा छोड़ना पड़ा, बल्कि अकाल तख्त साहिब में अपने सरेंडर के प्लान को भी कैंसल करना पड़ा.
उधर, अमृतपाल की इन्हीं तैयारियों को देखते हुए पंजाब पुलिस ने अमृतसर के हरमंदिर साहिब और अकाल तख्त साहिब के इर्द-गिर्द पुलिस का जबरदस्त घेरा लगा दिया, ताकि वो किसी भी कीमत पर इन पवित्र धार्मिक जगहों का इस्तेमाल अपने नापाक इरादों के लिए ना कर सके.
गुरुद्वारा को बनाया था सरेंडर का लॉचिंग पैड अमृतपाल ने होशियारपुर के नडालों गांव के गुरुद्वारा जन्मस्थान संत बाबा निधान सिंह को ही अपने सरेंडर के लॉचिंग पैड के तौर पर इसलिए चुना था, क्योंकि वो इस गुरुद्वारे में पहले भी ना सिर्फ कई बार आ चुका था, बल्कि गुरुद्वारे के जत्थेदार समेत तमाम पदाधिकारियों के साथ उसकी पुरानी मुलाकात भी थी. चार फरवरी को जब इस गुरुद्वारे ने बाबा संत निधान सिंह की जयंती का आयोजन किया था, तब भी उन्होंने अमृतपाल को यहां खास मेहमान के तौर पर बुलाया था. लेकिन अब वक्त बदल चुका था और अमृतपाल की हैसियत मेहमान से एक फरार मुल्जिम में बदल चुकी है. असल में ये गुरुद्वारा हुजूर साहिब के लंगर साहिब गुरुद्वारा से मान्यता प्राप्त है और इसके पूरे देश में ढाई सौ गुरुद्वारे हैं. अमृतपाल और उसके साथियों ने अपनी फरारी के दौरान पीलीभीत के जिस गुरुद्वारे में शरण ली थी, वो भी इसी लंगर साहिब गुरुद्वारा की एक शाखा है.

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