
गुजरात हाईकोर्ट ने धर्मांतरण विरोधी नए क़ानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी धाराओं पर लगाई रोक
The Wire
गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा था कि यह क़ानून अंतरधार्मिक विवाह पर प्रतिबंध नहीं लगाता है. इस पर न्यायालय ने कहा कि संशोधित क़ानून की भाषा स्पष्ट नहीं है, नतीजतन अंतरधार्मिक विवाह करने वालों पर हमेशा तलवार लटकती रहेगी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने पिछले महीने एक याचिका में कहा था कि क़ानून की कुछ संशोधित धाराएं असंवैधानिक हैं.
नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य के धर्मांतरण विरोधी नए कानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर गुरुवार को रोक लगा दी. The Gujarat High Court has stayed certain provisions of the Gujarat Freedom of Religion (Amendment) Act, 2021 which bans forceful conversion through interfaith marriages in the state मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस बीरेन वैष्णव की खंडपीठ ने कहा कि लोगों को अनावश्यक परेशानी से बचाने के लिए अंतरिम आदेश पारित किया गया है. — The Leaflet (@TheLeaflet_in) August 19, 2021 राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश पर अभी कोई विशेष टिप्पणी नहीं की है. वहीं कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अंतरिम रोक का स्वागत करते हुए कहा कि ‘संपूर्ण कानून संविधान की भावना के खिलाफ है’ और नागरिकों को अपना धर्म चुनने की स्वतंत्रता है. विवाह के माध्यम से जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए दंडित करने वाले गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 को राज्य सरकार ने 15 जून को अधिसूचित किया गया था. इसी तरह के कानून मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा सरकारों द्वारा बनाए गए हैं.More Related News