
गुजरात में कोविड-19 की ‘सुनामी’ क्योंकि राज्य सरकार ने अदालत और केंद्र की नहीं सुनी: हाईकोर्ट
The Wire
गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य में कोविड-19 की स्थिति और लोगों की समस्याओं पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दायर जनहित याचिका को सुनते हुए कहा कि राज्य सरकार ने जितनी चाहिए थी, उतनी सतर्कता नहीं बरती. अदालत ने राज्य सरकार के बेड की उपलब्धता, जांच सुविधा, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन संबंधी दावों पर भी आशंका जताई है.
नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने बीते गुरुवार को विजय रूपाणी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में ‘सुनामी’ का सामना कर रहा है क्योंकि उसने पूर्व में अदालत और केंद्र द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल नहीं किया, साथ ही उतनी सतर्कता नहीं बरती गई जितनी बरती जानी चाहिए थी. मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा बिस्तरों की उपलब्धता, जांच सुविधा, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन संबंधी दावों पर भी आशंका जताई. पीठ ने कहा, ‘आशंका है कि भविष्य में स्थिति और भी खराब हो सकती है. इस अदालत ने फरवरी में कुछ सुझाव दिए थे. हमने और कोविड-19 समर्पित अस्पतालों को तैयार करने को कहा था. हमने कहा था कि पर्याप्त बिस्तर उपलब्ध होने चाहिए, जांच की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए, सुनिश्चत करें कि लोग मास्क पहले और सार्वजनिक स्थलों पर सख्त निगरानी रखी जाए.’ अदालत ने कहा, ‘लेकिन, ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने हमारी सलाह पर विचार नहीं किया. इसी वजह से आज कोरोना वायरस महामारी की सुनामी देखी जा रही है. चूंकि, केंद्र लगातार राज्य को इसकी याद दिला रहा था लेकिन सरकार उतनी सतर्क नहीं थी जितनी होनी चाहिए.’’More Related News