गुजरातः पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ो परियोजना के विरोध में क्यों हैं आदिवासी
The Wire
इस परियोजना के तहत पश्चिमी घाट के जल अधिशेष क्षेत्रों से सौराष्ट्र और कच्छ के पानी को जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करने के लिए तीन नदियों- पार, तापी और नर्मदा को जोड़ने का प्रस्ताव है. इसके चलते कई हेक्टेयर क्षेत्र जलमग्न होंगे. जिन ज़िलों में यह परियोजना क्रियान्वित होनी है, वह आदिवासी बहुल हैं, जो इसके विरोध में हैं.
नई दिल्लीः गुजरात के आदिवासी वलसाड जिले के कपराडा में केंद्र सरकार की पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ो परियोजना के विरोध में 21 मार्च को एक जनसभा करने जा रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह इस तरह का चौथा प्रदर्शन होगा. इससे पहले वलसाड जिले के धर्मपुर में 28 फरवरी को इस तरह का पहला प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद पांच मार्च को तापी जिले के व्यारा में दूसरा और 11 मार्च को डांग जिले में इस तरह का तीसरा प्रदर्शन हुआ था.
पार-तापी-नर्मदा नदी जोड़ो परियोजना पूर्व के केंद्रीय सिंचाई मंत्रालय और केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के तहत 1980 की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत शुरू हुई थी.
इस परियोजना के तहत पश्चिमी घाट के जल अधिशेष क्षेत्रों से सौराष्ट्र और कच्छ (गुजरात) के पानी को जल की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करना प्रस्तावित है. इसके तहत तीन नदियों पार-तापी-नर्मदा को जोड़ने का प्रस्ताव है.