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गीतांजलि श्री को 'इंटरनेशनल बुकर प्राइज़' मिलने की तुलना मार्केज़ के उपन्यास से क्यों?
BBC
हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ से नवाज़ा गया है.
हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास 'टूंब ऑफ़ सैंड' को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ से नवाज़ा गया है. इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ हर वर्ष अंग्रेज़ी में अनुवादित और इंग्लैंड/आयरलैंड में छपी किसी एक अंतरराष्ट्रीय भाषा की किताब को दिया जाता है. इस पुरस्कार की शुरूआत वर्ष 2005 में हुई थी.
'टूंब ऑफ़ सैंड', गीतांजलि श्री के मूल हिंदी उपन्यास 'रेत-समाधि' का अनुवाद है. इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है.
बुकर सम्मान मिलने के बाद अपनी थैंक्यू स्पीच में गीतांजलि श्री ने कहा, "मैंने कभी बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान हूं, प्रसन्न हूं, सम्मानित महसूस कर रही हूं और बहुत कृतज्ञ महसूस कर रही हूं."
राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित 'रेत समाधि' हिंदी की पहली ऐसी किताब है जिसने न केवल अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्गलिस्ट और शॉर्टलिस्ट में जगह बनायी बल्कि गुरुवार की रात, लंदन में हुए समारोह में ये सम्मान अपने नाम भी किया.
'रेत समाधि' 80 साल की एक वृद्धा की कहानी है.