गीतांजलि एल्बम: परवीन शाकिर का शायरी संग्रह, जिसके छपने से पहले उनकी मौत हो गई
BBC
परवीन शाकिर ने गीतांजलि की कविताओं के अनुवाद का काम पूरा कर लिया था. लेकिन जब क़िताब की कंपोज़िंग शुरू हुई, उस वक्त वो एक भीषण सड़क हादसे का शिकार हुईं.
यह साल 1982 की बात है जब भारत की 16 साल की एक लड़की गीतांजलि की कविताओं का एक संग्रह लंदन से प्रकाशित हुआ.
गीतांजलि का जन्म 12 जून, 1961 को मेरठ में हुआ था. बहुत ही कम उम्र में, उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है, जिसका तब कोई इलाज नहीं था.
गीतांजलि ने इस बीमारी से लड़ना शुरू किया, लेकिन दिन-ब-दिन उन्हें एहसास होता गया कि उनकी ज़िंदगी के अब थोड़े ही दिन बचे हैं.
इस सच्चाई का पता चलने के बाद, उन्होंने अपनी भावनाओं को कविता के रूप में लिखना शुरू कर दिया. उन्होंने इन कविताओं के लिए अंग्रेज़ी भाषा को चुना. बहुत ही कम समय में उन्होंने 100-150 कविताएं लिख दीं.
इसी बीमारी के चलते 11 अगस्त, 1977 को गीतांजलि की मृत्यु हो गई. गीतांजलि की मृत्यु के बाद, उनकी माँ ख़ुशी बदरुद्दीन ने 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया' के संपादक एमवी कामत से संपर्क किया और गीतांजलि की ये कविताएं उन्हें सौंप दीं.