
गांधी जहां मोहनदास से महात्मा बने, वहां उनके अपमान का सिलसिला जारी- ग्राउंड रिपोर्ट
BBC
तुरकौलिया जहां नई घटना सामने आई है, वहां महात्मा गांधी चार अगस्त 1917 को आए थे. ये वही जगह थी जहां ब्रितानी हुकूमत के दौरान नील की खेती करने वाले किसानों को नीम के पेड़ से बांधकर पीटा जाता था.
बिहार के मोतिहारी के बाद अब पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया में गांधी की मूर्ति के अपमान का मामला सामने आया है. तुरकौलिया से एक तस्वीर सामने आई है जिसमें गांधी की मूर्ति पर शराब के रैपर और नाक से माथे तक सिंदूर लगा दिया गया है.
गांधी ने जिस चंपारण से सत्याग्रह शुरू किया, वहां पहले पूर्वी चंपारण के मुख्यालय मोतिहारी शहर के चरखा पार्क में गांधी की आदमक़द मूर्ति को असामाजिक तत्वों ने तोड़ा था.
तुरकौलिया जहां नई घटना सामने आई है, वहां महात्मा गांधी चार अगस्त 1917 को आए थे. ये वही जगह है, जहां ब्रितानी हुकूमत के दौरान नील की खेती करने वाले किसानों को नीम के पेड़ से बांधकर पीटा जाता था.
स्थानीय पत्रकार अजय कुमार बीबीसी को बताते हैं, "ये घटना 15 फ़रवरी की शाम की है. ऐतिहासिक नीम के पेड़ के पास एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, जिसके पास गांधी घाट है. यहीं गांधी जी की एक प्रतिमा लगी है जिस पर शराब के रैपर की माला पहनाई गई और सिंदूर लगा दिया गया. साफ़ है कि इस जगह पर लोग शराब पीते हैं."
तुरकौलिया से संबंधित घटना पर मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक डॉक्टर कुमार आशीष ने बीबीसी से कहा, "इस मामले की सत्यता की जांच कई बिंदुओं पर चल रही है. एक दिन पहले इसकी सूचना मिली थी और वहां जांच टीम भेजी गई थी. वहां पर माला गांधी मूर्ति के पास पड़ी मिली थी. अब एक एसआईटी टीम बनाकर इसकी जांच की जा रही है."