
गहरे अध्ययन पर आधारित है किताब 'पंत की काव्यभाषा का अध्ययन'
ABP News
किताब 'पंत की काव्यभाषा का अध्ययन' एक बहुत ही उपयोगी और गहरे अध्ययन पर आधारित है. ये किताब आपको अमेजन और फ्लिपकार्ट पर आसानी से मिल जाएगी.
डॉ उमाशंकर तिवारी के शोध कार्य पर प्रकाशित पुस्तक 'पंत की काव्यभाषा का अध्ययन' एक बहुत ही उपयोगी और गहरे अध्ययन पर आधारित पुस्तक है. इस पुस्तक के प्रथम अध्याय में भाषा के महत्व और काव्य के उपादान रूपों में काव्य-भाषा की विशिष्टता, लोकभाषा, गद्य भाषा से काव्य-भाषा का अन्तर, काव्य-भाषा के घटक तत्व, शब्द चयन, विन्यास और काव्य-भाषा की विशिष्ट प्रवृति को देखा गया है. काव्य-भाषा के और भाषा के अन्तर और उसके सहवर्ती रूपों को या काव्य-भाषा के मूलाधारों की चर्चा करते हुए काव्य-भाषा के घटक तत्व शब्द, अर्थ, शब्द शक्तियां, अप्रस्तुत विधान की गुणात्मकता की पहचान करते हुए विस्तृत विवेचना की गई है. इस पुस्तक के दूसरे अध्याय में प्रमुख रूप से छायावादी संवेदना और भाषा दृष्टि को अध्ययन का केंद्र बनाकर छायावादी काव्य-भाषा के क्रमिक विकास को रेखांकित किया गया है, उसके समूचे विकास की पहचान की गई है. विषय के विवेचन को वैज्ञानिक आधार पर संधि युगीन रचनाकारों की भाषिक चेतना और संघर्ष को देखा गया है. इस तरह खड़ी बोली काव्य-भाषा के विकास की गति का सम्यक निरीक्षण किया जा सका है.More Related News