खोजी कुत्ते, ड्रोन कैमरे, तलाश में लगे 200 लोग... अबूझ पहेली बनी नाहरगढ़ की पहाड़ियों में लापता भाइयों की कहानी
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राजस्थान की राजधानी जयपुर के करीब नाहरगढ़ की पहाड़ियों में लापता हुए दो भाइयों की कहानी अब रहस्यमय होती जा रही है. पुलिस ने एक भाई की लाश तो बरामद कर ली है, लेकिन दूसरे का अभी तक कुछ नहीं पता चला है. आखिर इन दोनों भाइयों के साथ पहाड़ी के बीच में क्या हुआ है?
राजस्थान की राजधानी जयपुर के करीब नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर दो भाई ट्रैकिंग के लिए जाते हैं. लेकिन कुछ देर बाद ही दोनों बिछड़ जाते हैं. दोनों अपने मोबाइल से घर पर फोन करके बताते हैं कि वे अपना रास्ता भटक चुके हैं. उन्हें नहीं पता चल रहा है कि वापस कैसे आएं. घरवाले तुरंत पुलिस के पास जाते हैं. आनन-फानन में पुलिस सर्च ऑपरेशन चलाती है. इस दौरान एक भाई की लाश मिलती है, लेकिन दूसरा लापता है. अब पुलिस और परिजनों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इन दोनों भाइयों के साथ पहाड़ी के बीच में क्या हुआ है?
जयपुर के नाहरगढ़ की पहाड़ियां अपनी कुदरती खूबसूरती के लिए जितनी मशहूर हैं, उतनी ही ट्रैकिंग और टूरिज्म के लिए भी. लेकिन इन्हीं नाहरगढ़ की पहाड़ियों में एक भाई की मौत और दूसरे भाई की गुमशुदगी एक ऐसी अबूझ पहेली बन चुकी है कि जयपुर पुलिस से लेकर सिविल डिफेंस, एसडीआरआफ, एनडीआरएफ और दूसरी तमाम महकमों की टीमें पिछले पांच दिनों से दिन रात एक कर देने के बावजूद इसे सुलझा नहीं पा रही. यहां के घने जंगलों में गुम हुए दो में से एक भाई की लाश मिल चुकी है, लेकिन दूसरे का अभी तक पता नहीं है.
यहां सवाल ये है कि इन दो भाइयों के साथ इन घने जंगलों में आख़िर ऐसा क्या हुआ, जो एक खौफनाक मिस्ट्री बन गई? अब सारी कोशिश जंगलों में गुम हो चुके दूसरे भाई को ढूंढ निकालने और इस मिस्ट्री को सुलझाने की है. आइए अब सिलसिलेवार तरीके से इस पूरी कहानी को समझने की कोशिश करते हैं. इस खौफनाक कहानी की शुरुआत रविवार, 1 सितंबर की सुबह करीब छह बजे हुई.
1 सितंबर, सुबह 6 बजे
शास्त्रीनगर, जयपुर के रहने वाले दो भाई राहुल और आशीष नाहरगढ़ की पहाड़ियों में ट्रैकिंग के लिए निकलते हैं. सुबह से दोपहर हो जाती है ट्रैकिंग ख़त्म नहीं होती और इस बीच दोनों भाई एक-एक कर अपने घर वालों को अपने-अपने मोबाइल फोन से कॉल कर बताते हैं कि वो रास्ता भटकने की वजह से एक दूसरे से बिछड़ गए हैं. उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा कि वो कैसे वापस लौटें.
1 सितंबर, दोपहर 1.30 बजे