खेत पानी में डूबे, फिर भी कहां से आती हैं हरी-हरी सब्जियां... यही तो महंगाई का असली खेल है!
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दिल्ली समेत बड़े शहरों के मार्केट में आपको हर रोज इस तरह की सब्जियां भी मिल जाती हैं, जिनका सीजन ही नहीं होता और लोग जब इन्हें खरीदने के लिए बाजारों में जाते हैं, तो इनके दाम सुनकर हैरान रह जाते हैं, कई ग्राहक को मन होते हुए भी इनके बहुत महंगे होने के चलते खाने का प्लान ही कैंसिल कर देते हैं.
टमाटर महंगा, अदरक महंगा, गोभी महंगा... (Vegetables Inflation) ऊपर से अब हरी मिर्च भी महंगी. सब्जी मंडी में पहुंचते ही हर जुबां पर एक बात होती है... क्या खरीदें, सब्जियों की कीमतों में तो आग लगी है? फिर एक किलो की जगह आधा किलो, आधा किलो लेने वाले एक पाव खरीदकर घर लौट आते हैं. लेकिन खरीदार खासकर, बड़े शहरों में लोग कभी ये नहीं सोचते कि सब्जियां आखिर इस मौसम में इतनी महंगी क्यों हो जाती हैं?
मंडी में ऐसे पहुंचती हैं बिना सीजन की सब्जियां
दरअसल, अभी जो-जो सब्जियां महंगी हैं, वो अभी सीधे खेत से मंडी तक नहीं पहुंचती हैं. क्योंकि बरसात के मौसम में बेहद कम सब्जियां की उगती हैं. खासकर टमाटर, गोभी, हरी मिर्च जैसी सब्जियां जुलाई महीने में खेतों में नजर नहीं आतीं. फिर आपका सवाल होगा कि मंडी में ये कहां से आती हैं? हर साल बरसात के मौसम के लिए सब्जियां कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं, और अधिकतर इलाकों में इन्हें खपत के हिसाब से धीरे-धीरे मंडी तक पहुंचाया जाता है.
मौसमी सब्जियों को किया जाता है स्टोर
ये सब्जियां में जब खेत में लगी होती हैं, और बाजार में भी आसानी से मिल जाती हैं, वो भी सामान्य भाव पर, उसी दौरान इन सब्जियों की बड़ी खेप को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है. क्योंकि कोल्ड स्टोरेज में महीनों तक सब्जियां ताजी रहती हैं. खासकर गोभी, प्याज, टमाटर और आलू के लिए पूरे देश में कोल्ड स्टोरेज मौजूद हैं. हालांकि अधिकतर किसान प्याज और आलू के लिए कोल्ड स्टोरेज का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब मौसमी सब्जियां भी बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं. टमाटर को अधिकतम डेढ़ से 2 महीने तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है.
सीजन खत्म होने पर बाजारों में एंट्री
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