खालिस्तानियों के लिए भारत से दुश्मनी ले बैठे ट्रूडो, जानें- हमारी सेना के आगे कहां ठहरता है कनाडा
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कनाडा अब भारत के खिलाफ मोर्चाबंदी पर उतर आया है. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत पर शक जताते हुए उसने एक भारतीय राजदूत को अगले कुछ दिनों में देश छोड़ने का आदेश दे दिया. भारत ने भी जवाबी कार्रवाई में ऐसा ही कदम उठाया. राजदूतों को हटाना काफी बड़ी बात है, जो अक्सर युद्ध के हालातों में होता है. समझें, क्या होगा अगर दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव आ जाए?
कनाडा में भारत के बाद सबसे बड़ा सिख समुदाय है. ऐसे में होना तो ये चाहिए था कि दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत होते, लेकिन खालिस्तानों को लेकर मौजूदा कनाडाई सरकार के नरम रवैए ने रिश्ते में खटास ला दी. खालिस्तानी लगातार भारत को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ट्रूडो सरकार उन्हें समर्थन दे रही है. कूटनीतिक स्तर पर दोनों ताकतवर देशों का एक दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को हटाना काफी बड़ा कदम माना जा रहा है.
कनाडा के पास कितनी मिलिट्री कनाडा को अमेरिका और ब्रिटेन जैसे मजबूत देशों का साथ मिला हुआ है, यही वजह है कि उसने कभी अपनी सैन्य ताकत पर खास खर्च नहीं किया. वर्ल्ड वॉर्स के दौरान कई उतार-चढ़ाव से गुजरने के बाद आखिरकार 1968 में जो फोर्स बनी, उसे कनाडियन आर्म्ड फोर्स कहा गया. बाकी देशों की तरह इसके भी 3 हिस्से हैं, जो जमीन, पानी और हवा में लड़ने के लिए प्रशिक्षित हैं.
आर्मी की ताकत का अंदाजा लगाने वाली संस्था ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2023 के अनुसार, सैन्य ताकत के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है, जबकि कनाडा की आर्मी 20वीं सबसे बड़ी आर्मी है.
हमारे पास करीब 1.4 मिलियन सैनिक हैं. इसकी तुलना में कनाडा में केवल साढ़े 71 हजार सोल्जर्स हैं. इसमें भी सिर्फ 23 हजार फुल टाइम सैनिक हैं, जबकि बाकी जरूरत पड़ने पर काम करते हैं. ये डेटा कनाडाई सरकार खुद देती है.
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