क्रिमिनल का बचना अब मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होगा, ये है 2250 करोड़ का मोदी सरकार का पूरा प्लान
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लगातार तीसरी बार केंद्र में आई मोदी सरकार अब अपराधियों पर नकेल कसने जा रही है. मोदी सरकार ने 2,250 करोड़ रुपये की एक ऐसी योजना को मंजूरी दी है, जिससे देशभर में फॉरेंसिक जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाया जाएगा.
देश में फॉरेंसिक जांच के बुनियादी ढांचे को लेकर मोदी सरकार एक नई योजना शुरू करने जा रही है. बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में इस योजना को मंजूरी दी गई. इसे 'नेशनल फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्हैंसमेंट स्कीम' नाम दिया गया है. इस स्कीम का प्रस्ताव गृह मंत्रालय ने रखा था.
इस योजना के जरिए अगले पांच साल में देशभर में फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी खोली जाएंगी. इस पर 22 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होगा. इस योजना का मकसद फॉरेंसिक जांच के लिए बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है, ताकि कन्विक्शन रेट बढ़ाया जा सके और जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके.
सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि 1 जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. ये कानून इंडियन पीनल कोड (आईपीसी), कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेंगे.
ऐसे में समझते हैं कि फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की ये पूरी स्कीम क्या है? इससे फायदा क्या होगा? और इससे कैसे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में मदद मिलेगी?
क्या है ये पूरी योजना?
नेशनल फॉरेंसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्हैंसमेंट स्कीम यानी NFIES के जरिए अगले पांच साल में फॉरेंसिक जांच का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया जाएगा.
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