क्यों नहीं तोड़ते रविवार को तुलसी? कौन सा दिन है भगवान विष्णु को अति प्रिय?
ABP News
भगवान को तुलसी क्यों है अति प्रिय? जाने कौन से वार होते हैं क्रूर? तुलसी को किस महीने में लगाने से घर में आती है शुभता.
पूजा पाठ: भारतीय संस्कृति में किसी भी कार्य को करने से पूर्व उस कार्य को कब और कैसे करना चाहिए यह विचार किया जाता है. जिसे लोग मुहूर्त कहते हैं. मुहूर्त में काल के अवयवों के रूप में तिथि वार, नक्षत्र, योग एवं कर्ण आदि को महत्व दिया जाता है. इनमें से वार सर्वाधिक सुगम और सरल अवयव है. इसलिए इसे हर व्यक्ति अपने उपयोग में अपनी तरह लेता है और उसी अनुसार कार्य करने लगता है. सामान्यतया सात वारों में रवि, मंगल को क्रूर एवं शनि को अशुभ माना जाता है. स्थापना एवं निर्माणादि वास्तु के कार्यो में शनि को शुभ माना जाता है. भारतीय परंपरा में किसी वृक्ष एवं पौधे को अपने उपयोग के लिए लगाना, काटना या उसके पत्ते लेना आदि इस सभी कार्यों को मुहूर्त में ही करने की लोक परंपरा थी और कहीं-कहीं अभी भी है. वैद्य भी मुहूर्त के अनुसार औषधि, वनस्पति को निकालते थे. मुहूर्त की जटिलता एवं मुहूर्त के सबके लिए सुगम व सुलभ न होने के कारण आज भी वार का ही उपयोग सामान्य लोग करते हैं. मुहूर्त के प्रधान अवयव तिथि, वार आदि सभी विष्णु रूप माने जाते हैं.
इनमें रविवार भगवान विष्णु को सर्वाधिक प्रिय है. इसलिए रविवार को विष्णु प्रिया तुलसी को नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसा विधान बना है, कई जगहों पर क्रूर वार होने के कारण मंगलवार को भी तुलसी नहीं तोड़ते. मुहूर्त लोक पर अधिक आधारित एवं प्रचलित होते हैं. इसलिए तुलसी तोड़ने के संदर्भ में भी लोक की प्रधानता प्रचलित हुई. सभी जगहों पर रविवार को तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए. यह धारणा प्रचलित नहीं है. जैसे विष्णु प्रधान धाम श्री बद्रीनाथ एवं जगन्नाथ में भगवान के पूजन एवं श्रृंगार में प्रतिदिन तुलसी का ही प्रयोग होता है. यहां पर प्रतिदिन तुलसी तोड़ी जाती है और भगवान का पूजन श्रृंगार किया जाता है. हमारे शास्त्रों ने लोक के आधार पर आचरण की व्यवस्था बनाई है. सात से अधिक लोक को प्रधानता दी है.