
क्या MP की 'खुशी दुबे' बनती जा रही है प्रवेश शुक्ला की फैमिली, योगी से कितना अलग होगा शिवराज का स्टैंड?
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मध्य प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. कुछ दिन पहले हुए 'पेशाबकांड' के बाद शिवराज सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है.जिसके बाद सीएम शिवराज ने खुद मोर्चा संभाला और डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की.
मध्य प्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव का चुनाव होना है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस चुनाव के लिए अभी से अपनी रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं. फिर से सत्ता पर काबिज होने की कोशिश में जुटी बीजेपी को कुछ दिन पहले उस समय परेशानियों को सामना करना पड़ा जब सीधी में प्रवेश शुक्ला नाम के शख्स ने आदिवासी युवक पर पेशाब कर दी. आदिवासी पर पेशाब के मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि खुद सीएम शिवराज को आगे आना पड़ा और पीड़ित आदिवासी युवक को बुलाकर उसके पैर धोए और माफी मांगी.
इसके बाद पेशाबकांड के आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर बुल्डोजर एक्शन लिया गया. यहां मामले ने तब पलटी मारी जब ब्राह्मण समाज शुक्ला के परिवार के पक्ष में खड़ा हो गया और उनके घर बनाने के लिए आर्थिक मदद एकत्र करनी शुरू कर दी. मध्य प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय के एक वर्ग द्वारा इसे लेकर शिवराज सरकार का विरोध किया गया. इस विरोध प्रदर्शन ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की एक घटना की यादें ताजा कर दी जब गैंगस्टर विकास दुबे के गुर्गे और बिकरू कांड के आरोपी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को बार-बार जेल से रिहा करने की मांग की गई. एनकाउंटर में मारे गए अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे 30 माह तक जेल में रही.
इस बात से नाराज हुआ ब्राह्मण समाज
इस बार मध्य प्रदेश में जब शुक्ला के निंदनीय कृत्य का वीडियो वायरल हुआ तो विपक्ष ने इसे आदिवासी समुदाय की गरिमा पर हमले के साथ जोड़ दिया. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार ने एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के अलावा NSA के तहत मामला दर्ज करने के बाद आरोपी शुक्ला को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, जिस बात ने ब्राह्मण समुदाय को नाराज कर दिया, वह थी आरोपी शुक्ला के घर का आंशिक विध्वंस, उनके रोते हुए परिवार के सदस्यों के वीडियो और खुले में खाना बनाते हुए उनकी पत्नी की तस्वीर. समुदाय का कहना था कि परिवार के सदस्यों के साथ इतना कठोर व्यवहार क्यों किया गया, जबकि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था और घर भी प्रवेश के नाम पर नहीं था.
जब योगी स्टैंड पर रहे कायम
शुक्ला और गैंगस्टर दुबे द्वारा किए गए अपराधों की तुलना नहीं की जा सकती है. दुबे पर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने और कई को घायल करने का आरोप था. लेकिन दोनों ही आरोपी जिस समुदाय से ताल्लुक रखते हैं उस समुदाय की प्रतिक्रिया काफी हद तक समान है. दुबे की पत्नी की रिहाई के लिए समुदाय के दबाव के बावजूद, योगी आदित्यनाथ सरकार नहीं झुकी. इंडिया टुडे के एक कार्यक्रम में, यूपी के सीएम ने स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें गैंगस्टर द्वारा मारे गए पुलिसकर्मियों के परिवारों के बारे में अधिक चिंता है, और वह दुबे के परिवार के प्रति उदारता दिखाने की मांग पर विचार नहीं करेंगे. यूपी में बीजेपी सरकार अपनी जिद पर अड़ी रही.

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