क्या 75 फीसदी आरक्षण का नीतीश कुमार का दांव प्रैक्टिकल है... जानिए 50% की सुप्रीम कोर्ट की लिमिट से ज्यादा किन राज्यों में आरक्षण?
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बिहार कैबिनेट ने एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए मौजूदा कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत करने का प्रस्ताव पारित किया है. इसी शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में इस पर एक विधेयक लाया जाएगा. नीतीश कुमार के इस दांव को चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2024 के चुनाव से पहले राज्य में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के फैसले को मंजूरी दे दी है. नीतीश कैबिनेट ने जाति आधारित आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा, 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को मिलेगा. बिहार में अब आरक्षण लिमिट 75 फीसदी होने जा रही है. नीतीश सरकार 9 नवंबर को विधानसभा में आरक्षण बढ़ाए जाने का बिल लेकर आएगी. रिजर्वेशन का लाभ सरकारी नौकरी और शिक्षा में मिलेगा. लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या नीतीश का यह दांव प्रैक्टिकल है? क्योंकि इससे पहले अन्य राज्य भी इसी तरह की पहल कर चुके हैं.
बता दें कि 1992 में सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में फैसला सुनाते हुए जातिगत आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय कर दी थी. SC के इसी फैसले के बाद कानून ही बन गया कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता. हालांकि, साल 2019 में केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन का विधेयक पारित कर दिया. इससे आरक्षण की अधिकतम 50 फीसदी सीमा के बढ़कर 60 प्रतिशत हो जाने का रास्ता आसान हो गया है. उसके बाद कई राज्यों ने आरक्षण की सीमा बढ़ाने का फैसला किया और मामला तुरंत कोर्ट में पहुंचा. महाराष्ट्र में 2021 में 50 फीसदी के पार जाकर दिए गए मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.
'SC ने EWS को सही ठहराया था'
फिलहाल, देश में 49.5% आरक्षण है. ओबीसी को 27%, एससी को 15% और एसटी को 7.5% आरक्षण मिलता है. इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10% आरक्षण मिलता है. इस हिसाब से आरक्षण की सीमा 50 फीसदी के पार जा चुकी है. हालांकि, पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने को सही ठहराया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता है.
'बिहार में अब 75 फीसदी आरक्षण का विधेयक'
वहीं, बिहार की बात करें तो वहां अब तक आरक्षण की सीमा 50% ही थी. EWS को 10% आरक्षण इससे अलग मिलता था. लेकिन, अगर नीतीश सरकार का प्रस्ताव पास हो जाता है तो आरक्षण की 50% की सीमा टूट जाएगी. बिहार कैबिनेट ने मंगलवार को जाति आधारित आरक्षण अब 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब तक पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग को 30 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा था, लेकिन नई मंजूरी मिलने पर 43 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसी तरह, पहले अनुसूचित जाति वर्ग को 16 प्रतिशत आरक्षण था, अब 20 प्रतिशत मिलेगा. अनुसूचित जनजाति वर्ग को एक प्रतिशत आरक्षण था, अब दो प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा दिया गया आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य गरीब वर्ग (EWS) का 10 फीसदी आरक्षण मिलाकर इसको 75 फीसदी करने का प्रस्ताव है.
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