क्या है Hybrid Immunity जिसे साइंटिस्ट मान रहे Corona के खिलाफ अचूक हथियार, जानिए कैसे हासिल होती है ये?
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Corona Virus के कारण पिछले दो साल से दुनिया महामारी से जूझ रही है. दुनियाभर में करोड़ों लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. अब एक नई स्टडी में साइंटिस्ट दावा कर रहे हैं कि Hybrid Immunity भविष्य में कोरोना महामारी पर काबू पाने के लिए कारगर साबित हो सकती है. जानिए क्या है ये?
दुनिया करीब दो साल से कोरोना वायरस महामारी का सामना कर रही है. वैक्सीन की कई-कई डोज के बावजूद न तो संक्रमण रुक रहा है, न वायरस के नए-नए वैरिएंट का म्यूटेशन थम रहा है और न ही मेडिकल साइंस इस बारे में ठोस तौर पर कुछ भी कह पाने की स्थिति में है कि आखिर इस वायरस से निजात कब मिलेगी? ऐसे में अब साइंटिस्ट्स ने Hybrid Immunity को कोरोना के खिलाफ अचूक हथियार बताया है.
नई स्टडी में कई बातें सामने आई हैं जिससे कोरोना से बचाव की दिशा में बड़ा क्लू मिल सकता है. इससे पता चल सकता है कि किन लोगों पर कोरोना वायरस कम असरदार है और किन लोगों में कोरोना वायरस के प्रतिरोध की क्षमता अधिक है. इम्युनिटी का कोरोना से बचाव में कितना रोल है और आगे जाकर कौन से हेल्थ फैक्टर कोरोना से इंसान की जंग में ज्यादा मददगार साबित होंगे?
आखिर क्या है Hybrid Immunity? हाइब्रिड इम्युनिटी शरीर के अंदर वह प्रतिरक्षा यानी लड़ने की ताकत है जो वायरस के इंफेक्शन या हर्ड इम्युनिटी और वैक्सीन लेने के बाद दोनों के असर से शरीर के अंदर पैदा होती है. साइंटिस्ट्स का कहना है कि दुनिया में करोड़ों लोग या तो संक्रमित हुए हैं या फिर वायरस के असर में आकर उनके शरीर में हर्ड इम्युनिटी विकसित हो चुकी है और ऐसे में Hybrid Immunity बड़ी संख्या में लोगों को फ्यूचर में संक्रमण से बचाने में कारगर साबित हो सकती है.
दरअसल विज्ञान का अनुभव ये कहता है कि जब भी हम किसी वायरस से संक्रमित होते हैं तो उससे शरीर में एंटीबॉडी बनती है जो बाद में वैसे किसी वायरस के हमले के समय उसकी पहचान करके उसे रोकती है. शरीर में इस क्षमता को प्रतिरक्षा या इम्युनिटी कहते हैं. वैक्सीन भी इसी तरीके से काम करती है. कोरोना की वैक्सीन भी वायरस के सेल से बनती है ताकि वह शरीर में वह एंटीबॉडी बना सके जो भविष्य में उसी तरह के वायरस के हमले को रोकने में कारगर साबित हो सके. दुनिया में करोड़ों लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है यानी कि वायरस के संक्रमण से एक तरह से प्रतिरक्षा करोड़ों लोगों को हासिल हो चुकी है.
क्या वायरस से पूरी तरह सेफ हो सकेगा इंसान? हालांकि, ऐसा नहीं है कि वैक्सीन लगवाने से या पहले संक्रमित होकर शरीर में एंटीबॉडी बनने के बाद वह शख्स वायरस से संक्रमित नहीं हो सकता लेकिन इम्युनिटी के कारण अगली बार संक्रमित होने पर असर जरूर कम होगा. एक्सपर्ट का मानना है कि इनमें से कई लोग फिर से संक्रमित भले ही हो जाएं लेकिन उनपर वैक्सीन का जानलेवा असर कम ही होगा. कोरोना की तीसरी और चौथी लहर के कम घातक होने के पीछे साइंटिस्ट इसी फैक्टर का प्रभाव बताते हैं.
कोरोना से जंग में क्यों अहम है ये स्टडी? अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन एलायंस गावी की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में आई एक स्टडी में ये पाया गया कि कोरोना इंफेक्शन के बाद शरीर में बनी एंटीबॉडी की तुलना में वैक्सीन लिए हुए शख्स के शरीर में 17 गुना ज्यादा एंटीबॉडी होती है. इसी स्टडी में ये भी पाया गया कि वैक्सीन से शरीर में बनी एंटीबॉडी शरीर के सेल्स में वायरल फैक्टर की एंट्री रोकने में भी ज्यादा कारगर होती है. इसका शरीर के ज्यादा हिस्सों में असर भी होता है. लेकिन शरीर में T-Cell जो कि वायरल लोड को शरीर से खत्म करने में काफी अहम होती है वह पहले संक्रमित हो चुके शख्स के शरीर में ज्यादा बेहतर स्थिति में होती है. ये T-Cell शरीर में वायरस की एंट्री के वक्त उसकी पहचान कर एंटीबॉडी को उनसे प्रतिरक्षा का निर्देश देती है.
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