
क्या है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल और कोविड-19 के इलाज में कितना कारगर? जानें मेदांता के चेयरमैन का जवाब
ABP News
डॉक्टर नरेश त्रेहान ने बताया कि ये बहुत स्पेशलाइज्ड प्रोसेस है, इसे देश के अंदर मेदांता में फिलहाल दी जा रही है. उन्होंने कहा कि ये दवा देने के बाद एक घंटा तक ऑब्जर्वेशन में रखते हैं कि कहीं कोई रिएक्शन तो नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि अभी तक जिन लोगों को यह दवा दी गई उसे किसी तरह का रिएक्शन नहीं देखा गया.
भारत में कोरोना की दवा में कॉकटेल का इस्तेमाल किया गया है. ये पहली बार किया गया है. दो दिन पहले गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में एक 84 वर्षीय कॉमोर्बिटिज मरीज को यह दवा दी गई है. कॉकटेल दवा का मतलब है दो दवाओं को मिलाकर बनाई गई दवा. इसे डॉक्टर की भाषा में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी भी कहा जाता है. ऐसा दावा है कि कॉकटेल दवा के इस्तेमाल से बीमारी की गंभीरता और मरीजों की मौत में 70 फीसदी तक की कमी आ जाती है. अमेरिका और यूरोप में इस तरह की थैरेपी को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कोरोना होने पर दवाओं का यही कॉकटेल दिया गया था और दावा किया गया था कि इस दवा को लेकर वह जल्दी ठीक हो गए थे. एबीपी न्यूज़ पर विस्तार से इसको लेकर मेदांता अस्पताल क चेयरमेन डॉक्टर नरेश त्रेहान से विस्तार से बात की.More Related News