क्या है तालिबान? अफगानिस्तान में 20 साल बाद इतना मजबूत होकर फिर कैसे उभर गया
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अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही अफगानिस्तान एक बार फिर से युद्ध की आग में जल रहा है. तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों पर कब्जा कर चुके हैं और अफगान सैनिक काबुल-कंधार जैसे बड़े शहरों को बचाने के लिए जंग लड़ रहे हैं. ऐसे में दुनिया जानना चाहती है कि आखिर ये तालिबान कौन लोग हैं और इनका इतना खौफ क्यों है?
इतिहास शायद ही किसी मुल्क की किस्मत में इतने अजीबो-गरीब तरीके से वक्त के पन्ने पलटता हो, जितना अफगानिस्तान (Afghanistan) की पहाड़ी-पथरीली जमीन ने देखी है. कभी रूस के समर्थन से चल रहे जहीर शाह के शासन में आधुनिकता की ओर बढ़ रहा अफगानिस्तान 1990 के दशक में तालिबान (Taliban) के मध्ययुगीन शासन को भी देख चुका है. इसके बाद 9/11 के हमले के बाद अमेरिकी और नाटो देशों की सेनाओं ने तालिबान के शासन से मुक्ति दिलाई तो बीस साल में अपने पैरों पर खड़ा होना मुल्क सीख ही रहा था कि तालिबान ने फिर सिर उठा लिया. फिर वही शरिया कानून, कोड़े मारने की सजा, सड़कों पर कत्लेआम और दाढ़ी बढ़ाने, संगीत सुनने, महिलाओं पर पाबंदियों जैसे मध्ययुगीन फरमानों का दौर लौट आया है. देश के अधिकांश हिस्सों पर फिर तालिबान का कब्जा है और लोग खौफ से फिर घर-बार छोड़कर पड़ोसी मुल्कों में भागने को मजबूर हैं.इमरान खान की पार्टी (PTI) ने X पर पोस्ट में कहा कि शांतिपूर्ण विरोध के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने वाले निर्दोष नागरिकों पर सरकार भारी और सीधी गोलीबारी कर रही है. कई लोगों की मौत की खबर है, और मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, अस्पतालों में आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति कम पड़ रही है, और स्थिति हर पल खराब होती जा रही है.
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