![क्या सिख परंपराओं को सम्मान देने के पीछे भाजपा की उन्हें इस्तेमाल करने की मंशा छिपी है](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2022/01/Narendra-Modi-Gurudwara-Ber-Sahib-PIB-Photo.jpg)
क्या सिख परंपराओं को सम्मान देने के पीछे भाजपा की उन्हें इस्तेमाल करने की मंशा छिपी है
The Wire
सिख धर्म को देश की रक्षा से बांधकर और यह कहकर कि गुरुओं का काम देश की रक्षा था, नरेंद्र मोदी आज की अपनी राष्ट्रीय असुरक्षा की राजनीति को ही रेखांकित कर रहे हैं. सावरकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे हिंदू धर्म का राष्ट्रीयकरण करते रहे हैं, वैसे ही वे सिख और बौद्ध धर्म का भी राष्ट्रीयकरण करना चाहते रहे हैं.
सिख धर्म का दोहरा इस्तेमाल भारतीय जनता पार्टी कर रही है. उसे मुसलमानों के खिलाफ हमला करने के लिए हथियार की तरह और हिंदुओं को डराने के लिए खालिस्तान के नाम पर हौव्वे की तरह. यह साथ-साथ किया जाता है. खालिस्तान का हौव्वा पिछले दो साल से किसान आंदोलन के दौरान पूरे देश में खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा के नेताओं ने खड़ा किया. मीडिया ने उनका साथ दिया.
किसान आंदोलन का मुख्य आधार पंजाब था. सिख किसानों की मौजूदगी स्पष्ट और मुखर थी. इसे दिखलाकर हिंदुओं में प्रचार किया गया कि यह वास्तव में किसानों का नहीं, खालिस्तानियों का आंदोलन है. वे माओवादियों के साथ मिलकर इस आंदोलन की आड़ में देश पर (जो मानो हिंदुओं का ही है) हमला करना चाहते हैं.
तीन दशक बाद फिर हिंदू दिमाग में सिख को लेकर संदेह और द्वेष भरने का संगठित प्रयास आरएसएस और भाजपा ने मीडिया को मदद से किया. यह प्रयास की सिख किसान को सामान्य हिंदू खालिस्तानी षड्यंत्रकारी के रूप में देखने लगें.
यह तो भला हो हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों का कि आंदोलन में उनकी बड़ी संख्या में भागीदारी ने भाजपा का यह प्रचार सफल नहीं होने दिया. लेकिन भाजपा ने अंतिम दम तक कोशिश छोड़ी नहीं.