
क्या रूस और अमेरिका की दोस्ती की कसौटी बनेगा ग्रीनलैंड, क्यों इस बर्फीले रेगिस्तान पर मची है रार?
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डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीनलैंड खरीदने के इरादे पर अब रूस ने भी बड़ा बयान दे दिया. हाल में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि नई अमेरिकी सरकार को हल्के में लेना बड़ी गलती है. अमेरिका हमेशा से यही चाहता है. पुतिन के गोलमोल बयान के दोनों ही मतलब निकल रहे हैं. हो सकता है कि वे वॉशिंगटन से दोस्ती की खातिर ट्रंप के आइडिया को सपोर्ट करें लेकिन रूस तो खुद आर्कटिक को लेकर सपने देखता रहा!
वाइट हाउस में आई नई अमेरिकी सरकार बिना लाग-लपेट अपनी महत्वाकांक्षाएं जता रही है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को खरीदने की बात की. इस बात पर हालांकि वहां की आबादी नाखुशी जता चुकी लेकिन ट्रंप प्रशासन अपनी बात पर कायम है. हाल में यूएस के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ग्रीनलैंड पहुंचे, जिससे इस बात को और बल मिला. इस बीच रूस के लीडर और ट्रंप के नए-नए दोस्त व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिकी इरादे पर ऐसी बात कही, जो वाइट हाउस के पक्ष में है.
तो क्या नई मित्रता को मजबूत करने के लिए पुतिन ऐसी बात कर रहे हैं, या फिर ग्रीनलैंड और रूस में कोई तनाव रहा, जिसे साधने के लिए वे अलग बयान देने लगे?
कौन सी बात कही हाल में
आर्कटिक सर्कल के सबसे बड़े शहर मूरमान्स्क में स्पीच देते हुए पुतिन ने कहा- यह बड़ी गलती होगी अगर नए अमेरिकी प्रशासन की बात ऊटपटांग माना जाए. ऐसा कुछ नहीं है. यूएस 19वीं सदी से ऐसा चाहता है. यहां तक कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद उसने डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने की भी कोशिश की थी. उसके पास ग्रीनलैंड पर बड़ी योजनाएं हैं, जिसकी जड़ें ऐतिहासिक हैं. यह स्वाभाविक है कि आर्कटिक में उसकी भौगोलिक, रणनीतिक और आर्थिक दिलचस्पी है.
लेकिन पुतिन के बयानों का दूसरा पहलू भी है. अब तक आर्कटिक में सबसे मजबूत देश वो रहा. अमेरिकी आमद के बाद इसपर असर पड़ सकता है. इसे लेकर वो कहीं न कहीं चिंतित भी है. पुतिन स्पीच के बीच यह साफ करना नहीं भूले कि वे भले ही आर्कटिक में किसी को छेड़ नहीं रहे लेकिन उनकी नजर इसपर बनी हुई है. और जरूरत पड़ने पर वे उनकी सैन्य ताकत भी बढ़ाएंगे.

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