क्या गैस-तेल की ज़रूरत ख़त्म कर देगी परमाणु ऊर्जा? चीन होड़ में सबसे आगे
BBC
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से यूरोप का ऊर्जा संकट उजागर हो गया है. लिहाजा वहां एक बार फिर परमाणु ऊर्जा का विकल्प ज़ोर-शोर से आज़माने की बहस चल पड़ी है.
ईंधन इस्तेमाल करने के मामले में दुनिया दोराहे पर खड़ी है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जीवाश्म ईंधन का धड़ल्ले से इस्तेमाल अब मुश्किल होता जा रहा है. धरती गर्म हो रही है और लगता नहीं है कि दुनिया कार्बन उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य हासिल कर सकेगी.
ऊर्जा का ये संकट रूस-यूक्रेन युद्ध से और उजागर हो गया. रूसी गैस पर यूरोप किस क़दर निर्भर है, यह भी ज़ाहिर हो गया.
शायद इसलिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने कहा कि न्यूक्लियर रेनेसां यानी परमाणु पुनर्जागरण का समय आ गया है.
मैक्रों ने पांच साल पहल परमाणु बिजली उत्पादन एक तिहाई घटाने का एलान किया था. फ्रांस के साथ कई और देशों ने भी फुकुशिमा दुर्घटना को देखते हुए ऐसा ही इरादा जताया था लेकिन इन दिनों एटॉमिक एनर्जी के प्रति दुनिया में नजरिया बदलता नज़र आ रहा है. खास कर गैस के बढ़ते दामों की वजह से.
रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा ऊर्जा समस्या ने तो इस ओर भी सोचने को मजबूर कर दिया है.