
क्या किसान आंदोलन को ‘आहत भावनाओं’ की सियासत कर कमज़ोर करने की कोशिश चल रही है
The Wire
क्या सिंघू बॉर्डर पर हुई हत्या का समूचा प्रसंग निहित स्वार्थी तबकों की बड़ी साज़िश का हिस्सा था ताकि काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ खड़े हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन को बदनाम किया जा सके या तोड़ा जा सके? क्या निहंग नेता का केंद्रीय मंत्री से पूर्व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मिलना इस उद्देश्य के लिए चल रही क़वायद का इशारा तो नहीं है?
धार्मिक ग्रंथ की ‘बेअदबी’ के नाम पर सिंघू बॉर्डर पर हुई दलित सिख लखबीर सिंह की हत्या को लेकर ढेर सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं.
पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने मृतक लखबीर सिंह पर धारा 295 के तहत ‘बेअदबी’ का मामला भी दर्ज किया है, किसी विडियो क्लिप के वायरल होने की बात भी चल रही है, जहां घायल लखबीर किसी को बता रहा है कि उसे तीस हजार रुपये दिए गए थे- अलबत्ता यह साफ नहीं है कि किसने और किस वजह से दिए थे- इतना ही नहीं वह कोई फोन नंबर भी बता रहा है… जो अस्पष्ट है.
मालूम हो कि इस हत्या की जांच हरियाणा की पुलिस पहले से ही कर रही थी और अब जो नए नए तथ्य सामने आ रहे हैं, और चूंकि मृतक पंजाब का रहने वाला रहा है, इसलिए पंजाब सरकार ने भी इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी के गठन का निर्णय लिया है.
गौरतलब है कि कथित तौर पर जिस व्यक्ति ने लखबीर को यातनाएं दी और अंतत: मार दिया था, उसने अपने जुर्म का इकबाल किया है, यहां तक कि यह भी कहा है कि आइंदा ऐसा मामले सामने आने पर वह फिर ऐसी कार्रवाई करेगा. इतना ही नहीं जिस निहंग संप्रदाय से वह जुुुुड़ा था, उसके मुखिया ने भी प्रेस से बात करते जुए इस कार्रवाई को महिमामंडित किया था.