कोवैक्सीन लगवा चुके लोगों को कोविशील्ड लेने की सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी इजाजत
The Quint
Revaccination SC; कोर्ट केंद्र को फिर से वैक्सीनेशन का निर्देश देकर लोगों के जीवन के साथ नहीं खेल सकता. जबकि इसपर कोई डेटा नहीं है. याचिकाकर्ता ने मांग उठाई कि कोवैक्सीन वालों को विदेशी यात्रा में दिक्कत आ रही है क्योंकि कोवैक्सीन को मान्याता नहीं
भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मान्यता न मिलने से विदेशी यात्रा में हो रही दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई, जहां याचिकाकर्ता ने मांग की कि कोवैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को कोविशील्ड लगवाने की इजाजत दी जाए.लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत देने से मना कर दिया और कहा कि लोगों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाला जा सकता. ADVERTISEMENTजस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, “हम केंद्र को फिर से वैक्सीनेशन का निर्देश देकर लोगों के जीवन के साथ नहीं खेल सकते. हमारे पास कोई डेटा नहीं है. हमने अखबारों में पढ़ा है कि भारत बायोटेक ने मान्यता के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन में एक आवेदन दायर किया है. फिलहाल WHO की प्रतिक्रिया का इंतजार करें. दिवाली की छुट्टी के बाद हम इस मामले को उठाएंगे."दरअसल याचिकाकर्ता की मांग है कि कोवैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को अब कोविशील्ड लगवाने की इजाजत दे दी जाए ताकि विदेश यात्रा में दक्कत न आए. लेकिन कोर्ट ने डेटा की कमी का कारण देकर इजाजत देने से इनकार कर दिया है.व्यक्तिगत रूप से पेश हुए एडवोकेट कार्तिक सेठ ने तर्क दिया कि हर दिन विदेश जाने के इच्छुक लोगों को दूसरे देशों में एंट्री करने से रोका जा रहा है क्योंकि कोवैक्सिन को डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रणाली के तहत, पहले से ही कोवैक्सिन का डोज लिया हुआ व्यक्ति कोविशील्ड का डोज लेने के लिए कोविन पोर्टल पर खुद को रजिस्टर नहीं कर सकता है और इस संबंध में केंद्र को एक निर्देश जारी किया जा सकता है.लेकिन कोर्ट का साफ मानना है कि “हम बिना किसी डेटा के एक और वैक्सीन लगाने का निर्देश नहीं दे सकते. हम आपकी चिंता को समझते हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करें".अदालत ने इस ओर भी चिंता व्यक्त की कि कॉम्पिटिटर जनहित याचिका की आड़ में मुकदमे का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं. कार्तिक सेठ का कहना है कि उनकी पीआईएल विशुद्ध रूप से एक जनहित याचिका ही है क्योंकि विदेशों में अध्ययन करने के इच्छुक कई छात्रों को कई देशों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.ADVERTISEMENT...