![कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम के बारे में सोशल मीडिया पर तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए: केंद्र](http://thewirehindi.com/wp-content/uploads/2021/06/covaxin-2-Reuters.jpg)
कोवैक्सीन में बछड़े के सीरम के बारे में सोशल मीडिया पर तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए: केंद्र
The Wire
कांग्रेस नेता गौरव पांधी ने एक आरटीआई के जवाब में मिले दस्तावेज़ को साझा करते हुए कोवैक्सीन में गाय के बछड़े के सीरम का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया था. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो कोशिकाएं तैयार करने और उनके विकास के लिए ही किया जाता है. वैक्सीन के अंतिम रूप में बछड़े का सीरम बिल्कुल नहीं होता.
नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान जारी करके कहा कि सोशल मीडिया की कुछ पोस्ट में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर एवं अनुचित ढंग से पेश किया गया है कि स्वदेश निर्मित कोवैक्सीन में नवजात बछड़े का सीरम है. According to this research doc, this is how cow calf serum is obtained.https://t.co/hIVTUULKUC pic.twitter.com/kP12tcUW7l मंत्रालय ने कहा कि नवजात बछड़े के सीरम का इस्तेमाल केवल वेरो कोशिकाएं (Vero Cells) तैयार करने और उनके विकास के लिए ही किया जाता है. गोवंश तथा अन्य पशुओं से मिलने वाला सीरम एक मानक संवर्धन संघटक है, जिसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में वेरो कोशिकाओं के विकास के लिए किया जाता है. — Gaurav Pandhi (@GauravPandhi) June 16, 2021 वेरो कोशिकाओं का उपयोग ऐसी कोशिकाएं बनाने में किया जाता है, जो टीका उत्पादन में मददगार होती हैं. पोलियो, रैबीज और इन्फ्लुएंजा के टीके बनाने के लिए इस तकनीक का दशकों से इस्तेमाल होता आ रहा है. मंत्रालय ने कहा कि वेरो कोशिकाओं के विकसित होने के बाद उन्हें पानी और रसायनों से अच्छी तरह से अनेक बार साफ किया जाता है जिससे कि ये नवजात बछड़े के सीरम से मुक्त हो जाते हैं. इसके बाद वेरो कोशिकाओं को कोरोना वायरस से संक्रमित किया जाता है, ताकि वायरस विकसित हो सके. इस प्रक्रिया में वेरो कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट हो जाती हैं. इसके बाद विकसित वायरस को भी नष्ट (निष्प्रभावी) और साफ किया जाता है.More Related News