
कोविड-19: मेधा पाटकर ने 70 से अधिक उम्र के क़ैदियों की रिहाई के लिए अदालत का रुख़ किया
The Wire
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि सबसे ज़्यादा उम्रदराज़ या बुज़ुर्ग क़ैदियों ख़ासकर 70 साल से अधिक उम्र के क़ैदियों के संक्रमित होने का ज़्यादा ख़तरा है. कुछ अपवादों को छोड़कर कुछ राज्यों ने वायरस के घातक प्रभावों के बावजूद वृद्ध क़ैदियों की रिहाई के संबंध में आवश्यक क़दम नहीं उठाए हैं.
नई दिल्ली: सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों के हितों की रक्षा के लिए उन्हें अंतरिम जमानत या आपात परोल पर रिहाई के लिए तत्काल कदम उठाने को लेकर केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया है. पाटकर ने कहा कि उन्होंने केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और उच्चाधिकार प्राप्त समिति को एक समान व्यवस्था बनाने को लेकर निर्देश के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है, ताकि 70 साल से अधिक उम्र के कैदियों की रिहाई से देश की जेलों में भीड़भाड़ कम हो. अधिवक्ता विपिन नैयर के जरिये दाखिल अपनी याचिका में पाटकर ने कहा, ‘नेल्सन मंडेला ने एक बार कहा था कि कोई भी किसी राष्ट्र को तब तक सही मायने में नहीं जानता जब तक कि वह वहां की जेलों के भीतर की हकीकत न जान ले. लगभग 27 वर्षों तक जेल में बंद रहे इस महान नेता का दृढ़ विश्वास था कि किसी राष्ट्र का मूल्यांकन इस आधार पर नहीं किया जाना चाहिए कि वह अपने शीर्ष नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है, बल्कि अपने निम्नतम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है.’ उन्होंने अपनी याचिका में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा प्रकाशित जेल आंकड़ों को हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि भारत में जेलों में सजा प्राप्त कुल कैदियों में 19.1 प्रतिशत की उम्र 50 साल और उससे अधिक है.More Related News