
कोर्ट ने एससी महिला की नियुक्ति पर गुजरात लोकसेवा आयोग के फ़ैसले को अवैध बताया
The Wire
याचिकाकर्ता महिला ने जीपीएससी के उस फ़ैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें बिक्री कर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर नियुक्ति दी गई थी, जो उनकी तीसरी वरीयता थी, जबकि सामान्य वर्ग में 110वीं रैंक लाने वाली महिला की पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की गई थी, जो याचिकाकर्ता की पहली वरीयता थी.
अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात लोकसेवा आयोग (जीपीएससी) द्वारा अनुसूचित जाति की महिला को वर्ष 2019 की प्रतियोगी परीक्षा में आरक्षण का लाभ नहीं लेने और सामान्य वर्ग में शामिल होकर 43वां रैंक हासिल करने के बावजूद पहली वरीयता की नियुक्ति नहीं देने को सोमवार को ‘गैर कानूनी और दुर्भावनापूर्ण’ करार दिया. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता रोशनी सोलंकी ने जीपीएससी के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें बिक्री कर विभाग में सहायक आयुक्त के पद पर नियुक्ति दी गई थी, जो उनकी तीसरी वरीयता थी, जबकि सामान्य वर्ग में 110वीं रैंक लाने वाली महिला की पुलिस उपाधीक्षक के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की गई थी, जो याचिकाकर्ता की पहली वरीयता थी. जस्टिस एएस सुपेहिया ने जीपीएससी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकार्ता को पुलिस उपाधीक्षक के पद के लिए नियुक्ति पत्र जारी करे. जस्टिस सुपेहिया ने उच्च न्यायालय के उस आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सामान्य श्रेणी के लिए आरक्षित पदों पर सभी महिलाएं प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं, भले ही वे किसी भी श्रेणी से आती हों.More Related News