कोरोना: WHO ने उत्तर प्रदेश के जिस प्रयास का ज़िक्र किया, क्या है उसकी ज़मीनी हक़ीक़त
BBC
कोरोना महामारी के राज्य के ग्रामीण इलाकों में पैर पसारने के बाद योगी सरकार हरकत में आती दिख रही है लेकिन क्या इतना काफ़ी है?
अमरोहा ज़िले के बछरायूं कस्बे में बने सीएचसी (कम्युनिटी हेल्थ सेंटर) की बंद पड़ी इमारत को तुरंत झाड़-पोंछ कर साफ किया गया और वहाँ 30 बिस्तर लगाए गए. जिलाधिकारी उमेश मिश्रा अपनी टीम के साथ ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लेकर पहुंचे और हेल्थ स्टाफ को तुरंत मरीजों को भर्ती करने का निर्देश दिया. ग्रामीण क्षेत्र में स्थित इस सीएचसी की नई बनी इमारत बिना इस्तेमाल के ही पुरानी हो रही थी. अब महामारी के दौर में जिला प्रशासन ने रूरल हेल्थ कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए आपात स्थिति में इसे चालू किया है. प्रशासन यहां 70 बेड और लगाने जा रहा है. कोरोना की दूसरी लहर अब गांवों की तरफ बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश में हुए पंचायत चुनावों ने संक्रमण को और बढ़ाने का काम किया है. ऐसे में प्रशासन के सामने ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण रोकने और यहां स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने की मुश्किल चुनौती है. इस मुश्किल वक्त में उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल लाई गई अपनी 'ट्रेस, टेस्ट, ट्रैक एंड ट्रीट' की नीति को फिर से लागू किया गया है. इसके अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव-गांव पहुंचकर लक्षण वाले लोगों का टेस्ट करती हैं और जरूरत पड़ने पर उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराती हैं. दरअसल, पिछले साल यूपी सरकार ने गांव-गांव में संक्रमण का पता लगाने के लिए नर्सिंग स्टाफ़ और मेडिकल स्टाफ़ की टीमें बनाईं थीं. गांव के लोगों को भी इसमें शामिल गिया गया था. इन्हें ही निगरानी समिति कहा गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में इन निगरानी समितियों के कारगर होने का जिक्र किया है.More Related News