
कोरोना: हाहाकार वाले इस दौर में आपसे 'पॉज़िटिव सोच' क्यों चाहती है सरकार?
BBC
कोरोना से जब देश में हाहाकर मचा है, सरकार चाहती है आप सकारात्मक सोचें. क्या मक़सद नकारात्मकता कम करना है या आलोचनाओं से ध्यान भटकाना?
कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों की कम गिनती किए जाने के आरोपों के बीच भारत में मरने वालों का आधिकारिक संख्या तीन लाख के पार चला गया है. हालात थोड़े बेहतर हैं लेकिन ये भूलना मुश्किल है कि किस तरह तस्वीरें चीख-चीख कर कह रही थीं कि सड़कों पर और घरों में ऑक्सीजन की कमी, अस्पतालों में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर की कमी से तड़पकर लोगों की मौत हो रही थी. कैसे लोगों को दवाओं और ऑक्सीजन लिए ब्लैक मार्केट का रुख़ करना पड़ा और कई परिवार आर्थिक तौर पर बर्बाद हो गए और कैसे उन्हें अपनों के शवों को अंतिम संस्कार के लिए कंधों पर ले जाना पड़ा. आरोप लगाए जा रहे हैं कि ये सब हुआ क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए तैयार नहीं थी. देश और दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की लगातार होती तीखी आलोचनाओं के बीच आया सरकार का 'सकारात्मक सोचिए' अभियान विवादों के घेरे में है. क्या इस अभियान का मक़सद बुरी ख़बरों से लोगों में बढ़ती नकारात्मकता को कम करना है या फिर आलोचनाओं से उनका ध्यान भटकाना है?More Related News