
कोरोना: सरकारों के काम पर अदालतों के सख़्त रवैये से क्या कुछ बदलेगा?
BBC
पिछले कुछ दिनों में कुछ हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर जैसी टिप्पणियाँ की हैं वो कई सालों में पहली बार देखने को मिल रही हैं.
"भारत का चुनाव आयोग देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए ज़िम्मेदार है. उसके अधिकारियों पर कोविड-19 के मानकों का पालन किये बिना रैलियों की अनुमति देने के लिए संभवतः हत्या का मुक़दमा चलाया जाना चाहिए." - मद्रास हाई कोर्ट, 27 अप्रैल "कोविड-19 के मरीज़ों की मौतें एक 'आपराधिक कृत्य' है और 'नरसंहार' से कम नहीं." - इलाहाबाद हाई कोर्ट, 4 मई "आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना सिर डाल सकते हैं, हम नहीं." - दिल्ली हाई कोर्ट, 4 मई (ऑक्सीजन की कमी के मामले पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए) "हम चाहते हैं कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन की आपूर्ति प्रतिदिन की जाये. हम यह गंभीरता से कह रहे हैं. कृपया हमें उस स्थिति में जाने के लिए मजबूर ना करें जहाँ हमें सख्ती बरतनी पड़े." - सुप्रीम कोर्ट, 7 मई ये कोराना के मामले में सरकार के कामकाज पर पिछले कुछ दिनों की हाई कोर्टों और सुप्रीम कोर्ट की सख़्त टिप्पणियाँ हैं.More Related News