कोरोना: सरकारी आँकड़े नहीं, जलती चिताएँ बयां कर रही हैं कितना बड़ा है क़हर
BBC
दिल्ली में इन दिनों कोविड से मरने वालों की संख्या सरकारी तौर पर 350 से 400 के बीच बताई जा रही है. लेकिन श्मशान और क़ब्रिस्तान जाने पर कुछ और दिखाई देता है.
मैंने एक साथ इतनी बड़ी संख्या में जलती चिताएं पहली बार देखीं हैं और एक ही दिन में दिल्ली के तीन श्मशान घाटों में ये दुख और अफ़सोस से भरा मंज़र देखने को मिला. जो लाशें जल रही थीं वो सभी कोरोना वायरस के शिकार थे. शनिवार को मैंने दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर और दवाओं से जूझते लोगों को देखा था. आख़िरी सांस लेने वाले कई लोगों के रिश्तेदारों को आंसू बहाते देखा था. सोमवार को श्मशान घाटों में बुज़ुर्ग, जवान और बच्चों को एक दूसरे से गले लग कर रोते देखा. चिता जलाने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार करते लोगों को देखा और जब श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया तो खुले मैदान में मेकशिफ्ट श्मशान बनते देखा ताकि आगे आने वाली लाशें जलाई जा सकें. दिल्ली में इन दिनों रोज़ाना कोविड 19 से मरने वालों की संख्या सरकारी तौर पर 350 से 400 के बीच बताई जा रही है. मैंने तीन शमशान घाटों में केवल कुछ घंटों में 100 से अधिक चिताएं जलती देखीं. सराय काले ख़ां में रिंग रोड से सटे, ट्रैफिक की भीड़ से दूर एक विद्युत शवदाहगृह है. वहां एक तरफ़, एक साथ कई चिताएं जल रही थीं और दूसरी तरफ़ आते जा रहे शवों के अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही थी. रिश्तेदार, एंबुलेंस वाले और सेवकों की एक भीड़ जमा थी. एक समय में क़रीब 10-12 शव जलाए जा रहे थे. खुले मैदान में मेकशिफ्ट श्मशान घाटMore Related News